विल्हेम कोनराड रोन्तजेन
Wilhelm Conrad Rontgen
पुरस्कार वर्ष 1901
जन्म 27 मार्च, 1815.
मृत्यु 10 फरवरी, 1923
राष्ट्रीयता : जर्मन
जर्मनी के रोन्तजेन को एक्सरे के आविष्कार के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था। एक्सरे के आविष्कार से चिकित्सा के क्षेत्र में महान क्रान्ति हुई। इससे आधुनिक भौतिक का आरम्भ हुआ। रेडियो एक्टिविटी के संबंध में जितने भी आविष्कार हुए, वे एक्सरे के आविष्कार के बाद ही संभव हो सके। रोन्तजेन ने अपना आविष्कार पेटेण्ट नहीं करवाया। वे विज्ञान के अध्यापक थे।
एण्टून हेंड्रिक लोरेंज
Antoon Hendrik Lorentz
पुरस्कार वर्ष : 1902
जन्म 18 जुलाई, 1853
मृत्यु: 4 फरवरी, 1928
राष्ट्रीयता : हालैण्ड
लोरेंज को विद्युत चुम्बकीय विकिरण (Electromag netic rediation) के सिद्धान्त की स्थापना के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। इस सिद्धान्त से आइन्स्टाइन के विशेष आपेक्षिक सिद्धान्त का जन्म हुआ। भौतिक शास्त्र के इस सिद्धान्त का प्रतिपादन
हालैण्ड के ही पीटर ज़ीमान ने भी किया।
पीटर ज़ीमान
Pieter Zeeman
पुरस्कार वर्ष 1902
जन्म: 25 मई, 1865
मृत्यु 9 अक्टूबर, 1948
राष्ट्रीयता : हालैण्ड
ज़ीमान भी हालैण्ड के थे और इन्हें हालैण्ड के ही लोरेंज के साझीदार के रूप में विद्युत चुम्बकीय विकिरण के प्रभाव के सिद्धान्त की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था। भौतिकी के अधिकांश प्रश्नों का हल इसी सिद्धान्त से प्राप्त हो जाता है। ज़ीमान हालैण्ड की राजधानी एमस्टर्डम के रहने वाले थे।
एंटोन हेनरी बेक्वरेल
Antoine Henri Becquerel
पुरस्कार वर्ष 1903
जन्म 15 दिसम्बर, 1852
मृत्यु 25 अगस्त, 1908
राष्ट्रीयता: फ्रेंच
फ्रांस के प्रो. बेक्वरेल फास्फोरस के चमकने के संबंध में खोज कर रहे थे कि कुछ वस्तुएँ सूर्य के प्रकाश में रहने के
बाद अन्धकार में क्यों चमकती हैं और यह चमकने वाली वस्तु क्या है और इसका प्रभाव क्या है। यह समस्या लेकर वे मेरी क्यूरी के पास पहुंचे। वस्तुतः यह थी उस वस्तु की सहज रेडियो सक्रियता। इसी खोज के कारण इन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।
मेरी क्यूरी
Marie Curie
पुरस्कार वर्ष 1908
जन्म 7 नवंबर, 1867
मृत्यु: 4 जुलाई, 1934
राष्ट्रीयता : फ्रेंच
पोलैण्ड में जन्मी मेरी क्यूरी और उनके पति पियरे क्यूरी ने रेडियो सक्रियता संबंधी प्रश्न का हल करने के लिए विच ब्लैण्ड का संशोधन किया। उन्हें पता चला कि उससे जो विकिरण होता है वह उसकी रेडियो सक्रियता है। 1903 के भौतिक विज्ञान का यह नोबेल पुरस्कार रेडियो सक्रियता की खोज के कारण दो भागों में बांटा गया। एक भाग प्रो. बेक्वरेल और दूसरा मेरी क्यूरी और उनके पति पियरे क्यूरी को दिया गया।
पियरे क्यूरी
Pierre Curie
पुरस्कार वर्ष 1908
जन्म : 15 मई, 1859
मृत्यु : 19 अप्रैल, 1906 (दुर्घटना में)
राष्ट्रीयता : फ्रेंच
फ्रांस के पियरे क्यूरी मेरी क्यूरी के पति थे। दोनों ने मिलकर रेडियो सक्रियता की खोज के लिए पिजलैण्ड नामक खनिज मंगवाकर उस पर परीक्षण किये। यह परीक्षण काफी कठिन स्थिति में किये गये थे। उनके पास पूरे साधन भी न थे। पियरे ने मेरी से विवाह से पूर्व लिखा था कि औरतों में प्रतिभा नहीं होती। परन्तु रेडियो सक्रियता का पता लगा लेने पर उन्हें भरोसा हो गया कि उनकी पत्नी महान प्रतिभा वाली हैं।
लार्ड रेले
Lord Rayleigh
पुरस्कार वर्ष 1904
जन्म 12 नवंबर, 1842
मृत्यु 30 जून, 1919
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
लार्ड रेले इंग्लैण्ड के रहने वाले प्रमुख वैज्ञानिक थे। इन्होंने विभिन्न गैसों का अध्ययन और परीक्षण करने के बाद उनके घनत्व का पता लगाया। गैसों के घनत्व का पता लगाना वैसे भी कठिन होता है और उनमें से वातावरण से संबंधित भीतरी गैस की मुख्य गैस अलग करना भी काफी कठिन होता है। लार्ड रेले को गैसों के घनत्व और उन्हें पृथक् करने की खोज के कारण नोबेल पुरस्कार दिया गया।
फिलिप एडुआर्ड एण्टन वान लेनार्ड
Philipp Eduard Anton Von Lenard
पुरस्कार वर्ष 1905
जन्म 7 जून, 1862
मृत्यु 20 मई, 1947
राष्ट्रीयता : जर्मन
इलेक्ट्रॉन अणु के सूक्ष्म कणों को कहते हैं। जर्मनी के एण्टन वान लेनाई को इलेक्ट्रान तथा केथोड किरणों के संबंध में अध्ययन और उनकी विशेषताओं तथा गुण धर्म के विवेचन पर महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए 1905 में नोबेल पुरस्कार दिया गया। सूक्ष्मतम विद्युत कणों की विशेषताओं का पता लगाने का कार्य भी उन्होंने किया।
सर जोसफ जान थामसन
Sir Joseph John Thomson
पुरस्कार वर्ष 1906
मृत्यु 30 अगस्त, 1910
जन्म: 18 दिसम्बर, 1856
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
थामसन ने बिजली के कणों-जिन्हें इलेक्ट्रान भी कहते हैं, की कार्यपद्धति के संबंध में खोज की। इसका स्पष्ट उदाहरण टेलीविजन की चित्र नली है। वस्तुतः यह एक कैथोड रे टयूब ही है जिसमें विद्युन्मय कणों को बड़ी तेजी से विचलित किया जाता है। उनके चित्र भी उतारे जा सकते हैं जबकि वे हाइड्रोजन अणु का दो हजारवां हिस्सा होते हैं। इन्हीं कार्यों के कारण इन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।
अल्बर्ट अब्राहम माइकेलसन
Albert Abraham Michelson.
पुरस्कार वर्ष 1907
जन्म 19 दिसम्बर, 1852
मृत्यु 9 मई, 1931 (कैलिफोर्निया)
राष्ट्रीयता : अमरीकी
अमरीका के माइकेलसन ने चाक्षुष, स्पेक्ट्रोस्कोपिक तथा मौसम विज्ञान से संबंधित ऐसे उपकरणों का निर्माण किया जिनसे इनके संबंध में खोज-परख का काम शुद्धतापूर्ण तरीके से किया जा सके। उक्त कार्यों के लिए उपकरण इतने सही होने चाहिए कि घोड़ा भी हेरफेर न हो सके। इन्हीं उपकरणों के निर्माण के लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
ग्रेब्रियल लिपमान
Gabriel Lippmann
पुरस्कार वर्ष 1908
जन्म: 16 अगस्त, 1845
मृत्यु : 13 जुलाई, 1921
राष्ट्रीयता : जर्मन
जर्मनी में जन्मे फ्रांस के इस भौतिक विज्ञानी ने विद्युत क्रिस्टल, इलेक्ट्रोमीटर आदि संबंधित अनेक परीक्षण किये। पियरे क्यूरी ने इनके परीक्षणों को सही पाया। इन्होंने फोटोग्राफी में रंगों को लेकर परीक्षण भी किये। इससे कलर फोटोग्राफी को बढ़ावा मिला और रंगों का शीघ्र ही धीमा पड़ जाना बन्द हो गया। इसी संबंध में इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया। यह सारबोर्न अनुसंधानशाला के निदेशक और फ्रेंच विज्ञान अकादेमी के सदस्य थे।
कार्ल फर्डिनेण्ड ब्राउन
Karl Ferdinand Braun
पुरस्कार वर्ष 1909
जन्म 6 जून, 1850
मृत्यु: 20 अप्रैल, 1918 (न्यूयार्क)
राष्ट्रीयता : जर्मन
जर्मनी के कार्ल फर्डिनेन्ड को वायरलेस टेलीग्राफी के विकास के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिया गया। इन्हें यह पुरस्कार मार्कोनी के साथ मिलकर बेतार के तार का विकास करने के लिए दिया गया था। इनकी बिजली से संबंधित कार्यों में रुचि थी। पुरस्कार के समय इनकी आयु उनसठ वर्ष थी परन्तु इनके सहयोगी मार्कोनी बहुत कम आयु के थे।
गुगलील्मो मार्कोनी
Guglielmo Marconi
पुरस्कार वर्ष 1909
जन्म: 25 अप्रैल, 1874
मृत्यु 20 जुलाई, 1937
राष्ट्रीयता : इटालियन
पहले एक स्थान से दूसरे स्थान पर समाचारों का आदान प्रदान तारों के माध्यम से होता था परंतु यह काम कष्टसाध्य और महंगा भी था। इसलिए मार्कोनी ने इस बात का यत्न किया कि समाचार रेडियो तरंगों द्वारा भेजे जा सके। इसमें तार बिछाने की आवश्यकता नहीं होती। इसी को बेतार का तार कहा जाता है। इस कार्य के लिए उन्हें सैंतीस वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार मिला।
जोहान्स डाइडेरिक वान्डर वाल्स
Johannes Diderik Van der Waals
पुरस्कार वर्ष : 1910
जन्म 29 नवम्बर, 1887
मृत्यु: 9 मार्च, 1925 (एमस्टर्डम)
राष्ट्रीयता : डच
जोहान्स डेरिक जो अनुसंधान किये उनसे शून्य के करीब के तापमानों का अध्ययन संभव हो सका। इन्होंने पदार्थों की तरल और गैसीय स्थिति के गणितीय समीकरण तैयार किये। इन्हें इस कार्य में काफी समय लगा। इनके अनुसंधान पूरे होने तक इनकी आयु तिहत्तर वर्ष की हो चुकी थी। यह हालैण्ड के रहने वाले थे।
विलहेम वीन
Wilhelm Wien
पुरस्कार वर्ष 1911
जन्म : 13 जनवरी, 1864
मृत्यु 30 अगस्त, 1928
राष्ट्रीयता : जर्मन
जर्मनी के इस वैज्ञानिक ने अनेक क्षेत्रों में अनुसंधान किये। वीन ने विशेष रूप से समुद्र की तरंगों और तूफान के संबंध में अनुसंधान किये। इन्हें डिसप्लेसमेण्ट सिद्धान्त, जिसका संबंध ब्लैक बाडी (ऊर्जा को अपने में समा लेने और परावर्तन न करने वाली वस्तु) द्वारा होने वाले ऊर्जा विकिरण से है, के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन्होंने कहा था कि यह परीक्षण मानसिक है-क्रियात्मक नहीं।
नील्स गुस्टाफ डलेन
Nils Gustaf Dalen
पुरस्कार वर्ष 1912
जन्म 30 नवम्बर, 1869
मृत्यु 9 दिसम्बर, 1937
राष्ट्रीयता : स्वीडिश
स्वीडन के गुस्टाफ इलेन को आटोमैटिक सन वाल्व (Sun Valve) अथवा सालवेण्टिल के आविष्कार के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। सन वाल्व उन प्रकाश स्तम्भों के प्रकाश को सही स्थिति में रखता है जहां कोई व्यक्ति यह काम करने के लिए नहीं होता। यह वाल्व सूर्य के प्रकाश की क्रिया से प्रभावित होकर सही प्रकाश देता रहता है।
हीके कैमरलिंघ- ओनस
Heike Kamerlingh-Onnes
पुरस्कार वर्ष 1913
जन्म 21 सितम्बर, 1858
मृत्यु 21 फरवरी, 1926
राष्ट्रीयता : डच
हीके को नोबेल पुरस्कार प्राप्त होने के दो तीन कारण हैं। इनमें एक हीलियम गैस को तरल रूप देना तथा सुपर कण्डक्टिविटी का पता लगाना है। इन्होंने अल्प तापमान भौतिकी पर कार्य किया। यह हालैण्ड के रहने वाले थे और इन्हें साठ वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार मिला।
मैक्स थियोडार फेलिक्स वान लाउ
Max Theodor Felix Von Laue
पुरस्कार वर्ष 1914
जन्म 9 अक्टूबर, 1879
मृत्यु 21 अप्रैल, 1960
राष्ट्रीयता : जर्मन
जर्मनी के मैक्स थियोडार ने स्फटिक से एक्स-रे के छितराने का पता लगाया। इसका परिणाम यह हुआ कि वैज्ञानिक स्फटिक के ढांचे का अध्ययन करने में समर्थ हुए और सालिडस्टेट भौतिकी का शुभारंभ हो सका। सालिडस्टेट का आधुनिक इलेक्ट्रानिक्स के विकास में बहुत महत्व है। इन्हें पैंतीस वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
सर विलियम हेनरी ब्रेग
Sir William Henry Bragg
पुरस्कार वर्ष 1915
मृत्यु 12 मार्च, 1942
जन्म: 2 जुलाई, 1862
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
भौतिकी का एक अंग क्रिस्टल अर्थात् स्फटिक का अध्ययन भी है। इससे क्रिस्टल्स निर्माण की जानकारी मिलती है। सर विलियम हेनरी और उनके बेटे-दोनों ने मिलकर एक्स-रे द्वारा क्रिस्टल का अध्ययन किया। इसी उपलब्धि के कारण उन्हें 53 वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
सर विलियम लारेन्स ब्रेग
Sir William Lawrence Bragg
पुरस्कार वर्ष 1915
जन्म 31 मार्च, 1890
मृत्यु : 1 जुलाई, 1971
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
सर विलियम हेनरी और सर विलियम लारेंस पिता-पुत्र थे। पुत्र लारेन्स की आयु उस समय केवल पच्चीस वर्ष की थी जब इन्हें नोबेल पुरस्कार में पिता के साथ भागीदार होने का सुजवसर मिला। पिता-पुत्र- दोनों ने मिलकर एक्सरे की सहायता से क्रिस्टल के ढांचे का अध्ययन किया। 1916 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार नहीं दिया गया।
चार्ल्स ग्लोवर बर्कला
Charles Glover Barkla
पुरस्कार वर्ष 1917
जन्म 7 जून, 1877
मृत्यु 23 अक्टूबर 1944
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
ब्रिटेन के चार्ल्स ग्लोवर बर्कला ने एक्स-किरणों के छितराने की प्रक्रिया का अध्ययन किया। इस अध्ययन से विशेष रूप से परमाणु ढांचे की बनावट का पता लगाने में सहायता मिली। इसी खोज के कारण इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार प्राप्ति के समय इनकी आयु पचास वर्ष थी।
मैक्स कार्ल अर्नस्ट लुडविग प्लैंक
Max Karl Ernst Ludwig Planck
पुरस्कार वर्ष : 1918
जन्म 25 अप्रैल, 1858
मृत्यु 30 अक्टूबर, 1947
जन्म स्थान : कील, जर्मनी
मैक्स प्लॅक जर्मन वैज्ञानिक थे। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में कई पहले की हैं। उन्होंने प्रकाश को ऊर्जा कणों का झुरमुट बताया। शक्ति अथवा ऊर्जा पुंज के लिए क्वांटा शब्द उन्हीं का दिया हुआ है। उनके अध्ययन का मुख्य विषय थर्मोडाइनेमिक्स अथवा उष्मागतिकी था। ताप और प्रकाश दोनों का संबंध भी है। उनका कहना था कि ऊर्जा शक्ति कणों का पुंज है-झुरमुट है। इस खोज से भौतिक विज्ञान को आगे बढ़ाने में सहायता मिली। इसी कारण इन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।
जोहान्स स्टार्क
Johannes Stark.
पुरस्कार वर्ष 1919
जन्म 15 अप्रैल, 1874
मृत्यु 21 जून, 1957
राष्ट्रीयता : जर्मन
स्टार्क ने इस बात का पता लगाया कि बिजली का प्रकाश जब फैलता है तो छितराने से धारियां सी बन जाती है। उनकी इस खोज को उनके नाम से ‘स्टार्क प्रभाव’ से जाना जाता है। ऐसा विद्युत क्षेत्र में दिखाई पड़ता है। स्टार्क को इसी खोज के कारण नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। उस समय उनकी आयु पैंतालीस वर्ष थी। विद्युत क्षेत्र में उन्होंने अन्य कार्य भी किये।
चार्ल्स एडुअर्ड गिल्लामे
Charles Edouard Guillamme
पुरस्कार वर्ष 1920
जन्म 15 फरवरी, 1861
मृत्यु 19 जून, 1938
राष्ट्रीयता : स्थिस
स्विट्ज़रलैण्ड के चार्ल्स एडुअर्ड ने धातुओं के मिश्रण संबंधी अनेक परीक्षण किये। उन्होंने विशेष रूप से फैरोनिकल मिश्रणों के संबंध में गहन अध्ययन परीक्षण अनेक वर्षों तक किये जिसके परिणाम ये निकल और स्टील के मिश्रण। फैरोनिकल मिश्रण के क्षेत्र में अनुसंधान के कारण उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार प्राप्ति के समय वे उनसठ वर्ष के थे।
अल्बर्ट आइन्स्टीन
Albert Einstein
पुरस्कार वर्ष 1921
जन्म : 14 मार्च, 1879
मृत्यु 18 अप्रैल, 1955
राष्ट्रीयता : जर्मन अमरीकी स्विस
आइन्स्टीन ने आयुभर समीक्षात्मक भौतिकी का अध्ययन मनन किया। प्रकाश के संबंध में वर्षों अध्ययन के पश्चात् उन्होंने एक नवीन सिद्धान्त की स्थापना की कि प्रकाश का स्रोत कुछ भी हो परन्तु प्रकाश की गति सभी ओर एक-सी होगी। आइन्स्टीन को इसी अध्ययन के कारण नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। 1905 में उन्होंने ‘विशिष्ट आपेक्षिकता’ सिद्धान्त की स्थापना की थी जिसका परिणाम एटम बम का निर्माण था। वैज्ञानिकों में इनका बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इजराइल के राष्ट्रपति पद की अपेक्षा उन्हें विज्ञान अधिक प्रिय था।
नील्स बोर
Niels Bohr
पुरस्कार वर्ष 1922
जन्म 2 अक्टूबर, 1885
मृत्यु 18 नवम्बर, 1962
राष्ट्रीयता : डेनिश
नील्स बोर पर मक्खन-पनीर पैदा करने वाले छोटे-से देश डेनमार्क को ही गर्व नहीं, वरन् विज्ञान जगत में भी उनका प्रमुख स्थान है। बोर ने इंग्लैण्ड की कैवेण्डिश अनुसंधानशाला में काम किया और अर्नेस्ट रदरफोर्ड से भी मैत्री बढ़ाई। 1915 में उन्होंने अणु की आभ्यन्तरिक रचना और उसके द्वारा विकिरण का अध्ययन प्रस्तुत किया। इसी अनुसंधान के कारण इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
राबर्ट एण्डूज़ मिल्लीकान
Robert Andrews Millikan
पुरस्कार वर्ष 1925
जन्म 22 मार्च, 1868
मृत्यु 19 दिसम्बर, 1955
राष्ट्रीयता : अमरीकी
राबर्ट मिल्लीकान अमरिकी भौतिक विज्ञानी थे। इन्होंने विद्युत के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किया। इन्होंने प्रारम्भिक अथवा मौलिक इलैक्ट्रानिक आवेश और फोटो इलेक्ट्रानिक प्रभाव का अध्ययन किया। इसी अध्ययन के कारण उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया। इन्हें यह पुरस्कार पचपन वर्ष की आयु में प्राप्त हुआ।
कार्ल मान जार्ज सीजबान
Karl Manne Georg Siegbahn
पुरस्कार वर्ष 1994
जन्म: 5 दिसम्बर, 1886
मृत्यु 26 सितम्बर, 1978
राष्ट्रीयता : स्वीडिश
एक्सरे की खोज तो रोन्तजेन ने कुछ वर्ष पहले कर ली थी परन्तु उसके संबंध में अनेक बालों का पता अनेक भौतिक वैज्ञानिकों ने लगाया। इनमें कार्ल मान भी थे। इन्होंने एक्सरे के स्पेक्ट्रम विज्ञान के क्षेत्र से संबंधित अनुसंधान किये। इस विषय को और अधिक आगे बढ़ाया। इसीलिए इन्हें गोल पुरस्कार दिया गया। अड़तीस वर्ष की आयु में ये इस पुरस्कार के हकदार बने।
जेम्स फ्रैंक
James Franck
पुरस्कार वर्ष 1925
जन्म 26 अगस्त, 1882
मृत्यु 21 मई, 1964
राष्ट्रीयता : जर्मन
जर्मनी के जेम्स फ्रैंक ने परमाणु की ऊर्जा के संबंध में अनुसंधान किये। इन्होंने पाया कि जब अणु इलेक्ट्रान से टकराते हैं तो उनकी ऊर्जा में परिवर्तन होता है। इसका अर्थ यह है कि इलेक्ट्रान में भी कुछ न कुछ ऊर्जा की मात्रा होती है। इन्हें इसी खोज के कारण नोबेल पुरस्कार दिया गया। जेम्स फ्रैंक हैम्बर्ग के थे और उन्होंने हैम्बर्ग के ही हर्ट्ज़ के सहयोग से काम किया था।
लुडविग गुस्ताव
Ludwig Gustav Hertz
पुरस्कार वर्ष 1925
जन्म: 22 जुलाई, 1887
मृत्यु: 30 अक्टूबर, 1975
राष्ट्रीयता : जर्मन
जेम्स फ्रैंक और लुडविग हर्ट्ज़ के अनुसंधान से यह सिद्ध हो गया कि अणु एक निश्चित् मात्रा में ऊर्जा ग्रहण करता या सोखता है क्योंकि इलेक्ट्रान से टकराने पर उसकी शक्ति में कुछ अन्तर आता है। उस अनुसंधान के कारण दो नोबेल पुरस्कार दिये गये और पुरस्कार राशि दोनों वैज्ञानिकों में बराबर बांट दी गई।
ज्यां-बैपटिस्ट पेरीं
Jean-Baptiste Perrin
पुरस्कार वर्ष 1926
जन्म 30 सितम्बर, 1870
मृत्यु 17 अप्रैल, 1942
राष्ट्रीयता : जर्मन
ज्यां वैपटिस्ट ने परीक्षणों तथा अनुसंधान द्वारा इस बात की पुष्टि की कि द्रव्य का रूप परमाणुओं के मिलने से बनता है। उन्होंने इसका अध्ययन भी किया कि जब उनका सूक्ष्मतम अंश तरल तत्व में छोड़ा जाता है तो उसकी गति कैसी होती है। इसीलिए उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया। फ्रांस के इस वैज्ञानिक को यह पुरस्कार छप्पन वर्ष की आयु में प्राप्त हुआ।
आर्थर होली कॉम्पटन
Arthur Holly Compton
पुरस्कार वर्ष 1927
जन्म 10 सितम्बर, 1892
मृत्यु 15 मार्च, 1962
राष्ट्रीयता : अमरीकी
अमरीका के होली काम्पटन को नोबेल पुरस्कार इसलिए दिया गया था कि उन्होंने यह खोज की थी कि जब एक्स किरणें इलेक्ट्रान से टकराती हैं तो उनके तरंग दैर्ध्य (Wave. length) में अन्तर पड़ता है। ऐसा क्यों होता है और कैसे होता है, इस बात की व्याख्या भी इन्होंने की। इसे ‘क्राम्पटन प्रभाव’ कहते हैं। इसलिए इन्हें यह पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार में इंग्लैण्ड के चार्ल्स टी. विल्सन भी भागीदार थे।
चार्ल्स थामसन रीस विल्सन
Charles Thomson Rees Wilson
पुरस्कार वर्ष 1927
जन्म 14 फरवरी, 1869
मृत्यु 15 नवम्बर, 1959
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
ब्रिटेन के थामसन विल्सन ने एक ऐसे उपकरण का विकास किया जिसे विल्सन क्लाउड चैम्बर कहते हैं। इस यन्त्र का उपयोग रेडियोधर्मिता, एक्स किरणों, अन्तरिक्ष से प्रसारित होने वाली किरणों तथा परमाणु के नाभिकीय विषयों का अध्ययन करने के लिए व्यापक रूप से होता है। इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार इसी उपकरण के निर्माण के लिए इन्हें भागीदार के रूप में दिया गया।
सर ओवन विलान्स रिचर्डसन
Sir Owen Willans Richardson
पुरस्कार वर्ष 1928
जन्म: 26 अप्रैल, 1879
मृत्यु 15 फरवरी, 1959
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
इंग्लैण्ड के इस वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार इस बात का पता लगाने के लिए दिया गया कि जब कोई धातु गरम की जाती है तो उसमें से इलेक्ट्रान का विसर्जन होता है। निर्वात नली के निर्माण में इसी मूल सिद्धान्त से काम लिया गया। अर्थात् इसी सिद्धान्त पर निर्वात नली (Vacuum tube) का निर्माण संभव हो सका।
प्रिन्स लुई-विक्टर डी ब्रोगली
Prince Louis-Victor de Broglie
पुरस्कार वर्ष 1929
जन्म 15 अगस्त, 1892
मृत्यु 19 मार्च, 1987
राष्ट्रीयता : फ्रेंच
फ्रांस के इस वैज्ञानिक को इलेक्ट्रान के तरंग स्वभाव का पता लगाने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका विचार था कि कण ही तरंग क्रिया करते हैं। इस खोज से इस विचार का भी पता चला कि द्रव्य में द्वयात्मकता (duality) होती है। इन्हें यह सर्वोच्च पुरस्कार सैंतीस वर्ष की आयु में प्राप्त हुआ। बोगली आयुभर अविवाहित रहे। वे यात्रा और अध्ययन के शौकीन थे।
सर चन्द्रशेखर वेंकट रामन
Sir Chandrasekhara Venkata Raman
पुरस्कार वर्ष 1930
जन्म : 8 नवम्बर, 1888
मृत्यु 21 नवम्बर 1970
राष्ट्रीयता : भारतीय
चन्द्रशेखर वेंकट रामन (सी. वी. रामन) प्रथम भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। डा. रामन को यह पुरस्कार मिलने का कारण यह है कि उन्होंने अन्य बातों के अतिरिक्त प्रकाश के छितराने के संबंध में खोज की और बताया उसके छितराने का प्रभाव क्या होता है। इस प्रकार इनके इस सिद्धान्त का नाम ही ‘रामन-प्रभाव’ पड़ गया। 1931 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार नहीं दिया गया।
वरनर कार्ल हैसनबर्ग
Werner Karl Heisenberg
पुरस्कार वर्ष 1992
मृत्यु फरवरी, 1976
जन्म: 5 दिसम्बर 1901
राष्ट्रीयता : जर्मन
जर्मनी के वैज्ञानिक हैसनबर्ग का नाम क्वांटम यांत्रिकी (mechanics) से जुड़ा हुआ है। इन्होंने अनिर्वार्यता सिद्धान्त (Indeterminancy Principle) की और इसी विशेष कार्य के लिए उन्हें जाना-पहचाना भी जाता है। इसी कार्य के लिए इन्हें 31 वर्ष की अवस्था में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पाल एड्रिअन मौरिस डिरेक
Paul Adrien Maurice Dirac
पुरस्कार वर्ष 1933
जन्म 8 अगस्त, 1902
मृत्यु 21 अक्टूबर, 1984
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
इंग्लैण्ड के इस वैज्ञानिक को भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार इसलिए दिया गया कि इन्होंने क्वांटम मेकेनिक सरल रूप में उपस्थित करने का यत्न किया। उसकी नई व्याख्या की जिसे सामान्य लोगों द्वारा स्वीकार करने में कठिनाई नहीं हुई। पुरस्कार में इनके दूसरे भागीदार आस्ट्रिया के इरविन स्क्रोडिंगर थे।
इर्विन स्क्रोडिंगर
Erwin Schrodinger
पुरस्कार वर्ष 1983
जन्म 12 अगस्त, 1887
मृत्यु 1 जनवरी, 1961
राष्ट्रीयता : आस्ट्रियन
विएना (आस्ट्रिया) के वैज्ञानिक भौतिक शास्त्री स्कोडिंगर ने क्वांटम मेकॅनिक्स के मूल नियमों का प्रतिपादन इसके मूल समीकरणों द्वारा किया। इसलिए इन्हें ‘स्क्रोडिंगर समीकरण’ ही कहा जाता है। इन्हें नोबेल पुरस्कार इंग्लैण्ड के भौतिक विज्ञानी डिरेक के साथ भागीदार
● 1934 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार नहीं दिया गया।
सर जेम्स चैडविक
Sir James Chadwick
पुरस्कार वर्ष 1935
जन्म 20
मृत्यु 24 जुलाई, 1974
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
छ प्रत्येक परमाणुका या है। क परमाणु के एक या अधिक होते हैं। क के इन कणों को प्रोटान कहते हैं। हाइड्रोजन को छोड़कर सभी मूल तत्वों के नाविकों में अतिरिक्त न्यूट्रान नामक कण भी होते हैं। जेमा वैविक ने न्यूटान की की दी और इसीलिए इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
कार्ल डेविड एण्डरसन
Carl David Anderson
पुरस्कार वर्ष 1996
जन्म 3 सितम्बर, 1905
राष्ट्रीयता : अमरीकी
अमरीकी भौतिक शास्त्री कार्ल एण्डरसन ने अथवा घनाणु अथवा एण्टी इलेक्ट्रान का पता लगाया। वस्तुतः प्रोटान और इलेक्ट्रान विद्युत के दो रूप है। प्रोटान पर धनात्मक बिजली का आवेश (चार्ज) होता है। इलेक्ट्रान पर ऋणात्मक बिजली का आदेश होता है। पाजिट्रान यानी घनाणु को एण्टी इलेक्ट्रान भी कहते हैं। एण्डरसन को पनाणु की खोज के लिए इकतीस वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार दिया गया। परन्तु यह पुरस्कार राशि दो वैज्ञानिकों में बांटी गई थी। दूसरे थे-विक्टर हेस
विक्टर फ्रांज हेस
Victor Franz Hess
पुरस्कार वर्ष 1936
जन्म: 24 जून, 1883
मृत्यु 17 दिसम्बर 1964
राष्ट्रीयता : आस्ट्रियन
आस्ट्रिया के विक्टर हेल ने इस बात का पता लगाया कि अन्तरिक्ष से पृथ्वी की ओर ऐसी किरणें (Cosmic rays) आती रहती हैं जिनसे अत्यन्त ऊर्जा युक्त विकिरण होता रहता है। कात्मिक किरणों का सबसे पहले विक्टर हेस ने ही पता लगाया और अपनी बात सिद्ध की। इसीलिए इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया। 1996 के वर्ष के पुरस्कार के यह एक भागीदार थे।
क्लिंटन जोसफ डेवीसन
Clinton Joseph Davisson
पुरस्कार वर्ष 1937
जन्म 22 अक्टूबर, 1881
मृत्यु 1 फरवरी, 1958
राष्ट्रीयता : अमरीकी
अमरीका के क्लिंटन जोसफ को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार इसलिए दिया गया क्योंकि इन्होंने इस बात का पता लगाया कि इलेक्ट्रान एक तरंग के समान प्रवाहित होते हैं। इन्होंने इस खोज से ब्रोग्ली के इस विचार की पुष्टि कर दी कि इलेक्ट्रान तरंग और कण-दोनों रूपों में क्रिया करते हैं। इस वर्ष का पुरस्कार दो वैज्ञानिकों को मिला था।
सर जार्ज पेजट थामसन
Sir George Paget Thomson
पुरस्कार वर्ष 1987
जन्म : 3 मई, 1892
मृत्यु : 10 सितम्बर, 1975
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
ब्रिटेन के सर जार्ज पेजट को 1937 का नोबेल पुरस्कार डेविसन के साथ भागीदार के रूप में प्राप्त हुआ। इनका भी यही कहना था कि इलेक्ट्रान में विद्युत तरंग के समान प्रवाहित होने का गुण है। इससे ठोस और तरल पदार्थों के अणु ढांचे के निर्धारण में सहायता मिलती है। पेजट ने प्रथम विश्वयुद्ध में भी भाग लिया था।
एनरिको फेर्मी
Enrico Fermi
पुरस्कार वर्ष 1998
जन्म 29 सितम्बर, 1901
मृत्यु 28 नवम्बर, 1954
राष्ट्रीयता : इटालियन अमरीकी
रोम में जन्मे अमरीकी विज्ञानी एनरिको फेर्मी का अणु विज्ञान में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन्हीं के प्रयत्न से परमाणु बम बना। इनका कहना था कि न्यूट्रान ही अणु के नामिक अथवा केन्द्र का भेदन कर सकता है। उन्होंने यूरेनियम अणु पर न्यूट्रान की बमबारी की। इससे यूरेनियम का रूप बदल गया। इस प्रकार वह न्यूक्लियस के विखण्डन में सफल हो गये। इसका परिणाम अनन्त शक्ति का उत्पन्न होना था इसी खोज के कारण फेर्मी को नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। फेर्मी की मृत्यु कैंसर से हुई।
अर्नेस्ट ओरलैण्डो लारेंस
Ernest Orlando Lawrence
पुरस्कार वर्ष 1939
जन्म 8 अगस्त, 1901
मृत्यु 27 अगस्त, 1958
राष्ट्रीयता : अमरीकी
अमेरिका के भौतिक विज्ञानी ओरलैण्डो को नोबेल पुरस्कार साइक्लोट्रोन के निर्माण और विकास के लिए दिया गया। साइक्लोट्रोन से कृत्रिम रेडियोसक्रिय तत्वों के संबंध में सफलताओं के कारण उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अड़तीस वर्ष की आयु में इन्हें यह विशिष्ट सम्मान प्राप्त हुआ। • वर्ष 1940-42 के दौरान ये पुरस्कार नहीं दिये गये।
ऑटो स्टर्न
Otto Stern
पुरस्कार वर्ष 1943
जन्म 17 फरवरी, 1888
मृत्यु 17 अगस्त, 1969
राष्ट्रीयता : पोलिश अमरीकी
पोलैण्ड के वैज्ञानिक ऑटो स्टर्न को नोबेल पुरस्कार आणविक किरण के विकास तथा उसके द्वारा प्रोटोन के चुम्बकीय काल को मापने तथा उसके स्वभाव के अध्ययन के लिए दिया गया। इन्हें यह पुरस्कार पचपन वर्ष की अवस्था में प्राप्त हुआ।
इसीडोर इज़ाक राबी
Isidor Isaac Rabi
पुरस्कार वर्ष 1944
जन्म: 29 जुलाई, 1898
राष्ट्रीयता : पोलिश अमरीकी
इस अमरीकी वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार इसलिए दिया गया कि इन्होंने अटामिक वर्णक्रम के अध्ययन के लिए आणविक और उसके चुम्बकीय प्रभाव अथवा अनुकंपन का तरीका खोज निकाला। इनका जन्म आस्ट्रियन पोलैण्ड में हुआ था परन्तु इन्होंने बाद में अमरीकी नागरिकता ले ली थी।
वुल्फगांग पॉली
Wulfgang Pauli
पुरस्कार वर्ष 1945
जन्म 25 अप्रैल, 1900
मृत्यु 15 दिसम्बर, 1958
राष्ट्रीयता : आस्ट्रियन
आस्ट्रिया के इस वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार एक | सिद्धान्त के प्रतिपादन के लिये दिया गया जिसे इनके नाम पर ‘पॉली एक्सक्लूजन’- अपवर्जन सिद्धान्त कहते हैं। इस सिद्धान्त से क्वांटम सिद्धान्त का एटम के ज्ञात गुण धर्मों से संबंध प्रकट होता है। इनका कहना था कि एक एटम के से इलेक्ट्रानों में एक सी ऊर्जा नहीं होती।
पर्सी विलियम्स ब्रिजमैन
Percy Williams Bridgman
पुरस्कार वर्ष 1946
मृत्यु 20 अगस्त, 1961
जन्म: 21 अप्रैल, 1882
राष्ट्रीयता : अमरीकी
द्रव्यों की प्रत्येक स्थिति का अध्ययन भौतिक विज्ञान का | विषय है। पर्सी विलियम्स ब्रिजमैन की विशेषता यही है कि द्रव्यों की विभिन्न स्थितियों-अत्यन्त उच्च तापमान और दवाबों का बहुत व्यापक अध्ययन उन्होंने किया। इसी काम के लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
सर एडवर्ड विक्टर एप्लेटन
Sir Edward Victor Appleton
पुरस्कार वर्ष : 1917
जन्म : 6 सितम्बर, 1892
मृत्यु 21 अप्रैल, 1965
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
पृथ्वी के साठ मील ऊपर विभिन्न गैसों की एक पट्टी है। इस पट्टी को आयनोस्फेयर (lonosphere) कहते हैं। इसे आयन मण्डल भी कहते हैं। यह अनेक विद्युत कणों से युक्त है। इस पट्टी का पता सर एडवर्ड एप्लेटन ने ही लगाया था। इसलिए इसका नाम ‘एप्लेटन परत’ पड़ गया। यह रेडियो तरंगों को परावर्तित करने में सहायक है। विश्व की संचार व्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसी खोज के लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
लार्ड पैट्रिक मेनार्ड स्टूअर्ट
Lard Patrick Maynard Stuart
पुरस्कार वर्ष 1948
जन्म 18 नवम्बर, 1897
मृत्यु 13 जुलाई, 1974
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
लार्ड मेनार्ड ने विशेष रूप से अणु के केन्द्रक और कास्मिक विकिरण के क्षेत्र में अनुसंधान का काफी काम किया। इस कार्य के लिए उन्होंने विल्सन क्लाउड चैम्बर पद्धति को और विकसित किया। इसी पद्धति द्वारा कास्मिक विकिरण के क्षेत्र में और अधिक काम हो सका। अणु के नाभिक से संबंधित भौतिक विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
हिदेकी युकावा
Hideki Yukawa
पुरस्कार वर्ष 1949
जन्म 23 जनवरी, 1907
मृत्यु 8 सितम्बर, 1981
राष्ट्रीयता : जापानी
जापान के इस वैज्ञानिक ने मूल कणों के सिद्धान्त के संबंध में अनुसंधान कार्य किया। इन्होंने 1935 में नाभिक के गिर्द मेसान कण होने के सिद्धान्त की स्थापना की। यह कण क्षणभंगुर होते हैं और ये इलेक्ट्रान तथा प्रोटान के मध्य रहते हैं। इसी अनुसंधान के लिए इन्हें बयालीस वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सेसिल फ्रैंक पावेल
Cecil Frank Pawell
पुरस्कार वर्ष 1950
जन्म: 5 दिसम्बर, 1903
मृत्यु 9 अगस्त, 1969
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
इंग्लैण्ड के इस वैज्ञानिक ने न्यूक्लियर अर्थात् अणु के नाभिक की प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए फोटोग्राफिक पद्धति का आविष्कार किया इससे यह लाभ हुआ कि पाई मेसान (Pi-Mesan) अणुओं (अधिक भारी परन्तु छोटे का पता चला।
सर जान डगलस कॉकक्राफ्ट
Sir John Dauglas Cockcroft
पुरस्कार वर्ष 1951
जन्म 27 मई, 1897
मृत्यु 18 सितम्बर, 1967
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
सर जान डगलस कॉकक्राफ्ट को भागीदार के रूप में भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया गया। इन्होंने अणु के नाभिक के अध्ययन तथा कणों की वृद्धि और उनके रूपान्तरण के क्षेत्र में पहल की। इससे वास्तविक नाभिक के अध्ययन में सहायता मिली। इस दिशा में प्रसिद्ध वैज्ञानिक रदरफोर्ड ने आरंभिक कार्य किया था। इन्होंने रेडार को विकसित करने का काम भी किया।
अर्नेस्ट थामस सिंटन वाल्टन
Ernest Thomas Sinton Walton
पुरस्कार वर्ष 1951
जन्म 6 अक्टूबर, 1903
राष्ट्रीयता : आयरिश
सिंटन वाल्टन आयरलैण्ड के वैज्ञानिक थे। कॉक क्राफ्ट और इन्हें नाभिक के कणों में वृद्धि करके अध्ययन के लिए एक उपकरण बनाने और विकसित करने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। कण वृद्धि के इस उपकरण को इन दोनों वैज्ञानिकों के नाम पर फोक क्राफ्ट -बाल्टन जेनरेटर’ कहा जाता है।
एडवर्ड मिल्स पर्सेल
Edward Mills Purcell
पुरस्कार वर्ष 1952
जन्म: 30 अगस्त, 1912
राष्ट्रीयता : अमरीकी
इस बार का नोबेल पुरस्कार भी दो वैज्ञानिकों को भागीदार के रूप में मिला। एक ये एडवर्ड मिल्स सेल और दूसरे फेलिक्स ब्लॉच। एडवर्ड मिल्स पर्सेल स्वतन्त्र रूप से नाभिक के चुम्बकीय अनुकंपन का पता लगाने के लिए पुरस्कार दिया गया यह तरल और ठोस दोनों तत्त्वों के केन्द्रक के अनुकंपन का पता लगाने के लिए दिया गया।
फेलिक्स ब्लॉच
Felix Bloch
पुरस्कार वर्ष 1952
जन्म 23 अक्टूबर, 1905
मृत्यु 1983
राष्ट्रीयता: स्विस / अमरीकी
स्विट्ज़रलैण्ड के इस वैज्ञानिक को ई. एम. पर्सेल के साथ भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार दिया गया। इन्होंने नाभिक के चुम्बकीय अनुकंपन क्षेत्र को मापने का तरीका निकाला। इससे अणु भौतिकी के क्षेत्र का और विस्तार हुआ। इन्हें यह पुरस्कार सैंतालीस वर्ष की आयु में प्राप्त हुआ।
फ्रिट्स ज़रनाइक
Frits Zernike
पुरस्कार वर्ष 1958
जन्म: 16 जुलाई, 1888
मृत्यु 10 मार्च, 1966
राष्ट्रीयता : डच
हालैण्ड के इस भौतिक विज्ञानी ने एक ऐसे सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार किया जिसके द्वारा कोशिका के आन्तरिक ढांचे का, कोशिका कणों को नष्ट किये बिना अध्ययन किया जा सके। इससे अणु की आन्तरिक बनावट के अध्ययन में काफी आसानी हो गई।
मैक्स बॉर्न
Max Born
पुरस्कार वर्ष 1954
जन्म 11 दिसम्बर, 1882
मृत्यु 5 जनवरी, 1970
राष्ट्रीयता : जर्मन ब्रिटिश
मैक्स बॉर्न और जर्मनी के वाल्थर विल्हेम को 1954 का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया गया। मैक्स बॉर्न ने तरंग प्रक्रिया का सांख्यिकीय ढंग से अध्ययन किया। इस अनुसंधान के कारण ही मूल क्वांटम सिद्धान्त का स्थान इनके अध्ययन ने लिया। मूल सिद्धान्त में इलेक्ट्रान को कण माना गया है, मैक्स बॉर्न ने उसका वास्तविक स्वरूप बताया।
वाल्थर विल्हेम जार्ज बोथे
Walther Wilhelm Georg Bothe
पुरस्कार वर्ष 1954
जन्म : 8 जनवरी, 1891
मृत्यु 8 फरवरी, 1957
राष्ट्रीयता : जर्मन
जर्मनी के इस भौतिक विज्ञानी को 1954 का नोबेल पुरस्कार साझीदार के रूप में मिला। इन्होंने उप-परमाण्वीय (sub atomic) कणों का पता लगाने के लिए नया तरीका निकाला। इसी से संबंधित अन्य खोजों के लिए भी इनकी ख्याति है। नोबेल पुरस्कार में इनके भागीदार जर्मनी के मैक्स बॉर्न थे जिन्होंने अणु की तरंग प्रक्रिया का सांख्यिकीय ढंग से अध्ययन किया था।
पोलीकार्प कुश
Polykarp Kusch
पुरस्कार वर्ष 1955
जन्म: 26 जनवरी, 1911
राष्ट्रीयता : जर्मन अमरीकी
इस भौतिक विज्ञानी को 1955 में इसलिए नोबेल पुरस्कार दिया गया कि इन्होंने इलेक्ट्रान पर चुम्बकीय प्रभाव के वास्तविक क्षणों को खोज निकाला। इन्हें भी यह पुरस्कार अमरीकी वैज्ञानिक यूजीन लैम्ब के साथ भागीदार के रूप में प्राप्त हुआ। पुरस्कार के समय इनकी आयु चवालीस वर्ष थी।
विलिस यूजीन लैम्ब जूनियर
Willis Eugene Lamb Jr.
पुरस्कार वर्ष 1955
जन्म 12 जुलाई, 1919
राष्ट्रीयता: अमरीकी
लास एंजल्स के इस अमरीकी भौतिक शास्त्री को अपने उस खोज कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया जिससे विद्युत चुम्बकीय (Electro-magnetic phenomenon) संबंधी क्वांटम सिद्धान्त को गति मिलने में सहायता प्राप्त हुई। अर्थात् इनके प्रयोगों से इस सिद्धान्त को और परिष्कृत करने में तेजी आई। पुरस्कार में इनके भागीदार थे पोली कार्प ।।
जान बरडीन
John Bardeen
पुरस्कार वर्ष 1956
जन्म: 23 मई, 1908
राष्ट्रीयता : अमरीकी
विज्ञान जगत् में ट्रांजिस्टर एक बहुत महत्त्वपूर्ण उपकरण है। इससे अनेक काम सिद्ध होते हैं। 1956 का नोबेल पुरस्कार ट्रांजिस्टर के निर्माण और विकास के लिए तीन वैज्ञानिकों को दिया गया। ये थे जान बरडीन, वाल्टर ब्राटेन और शॉकले। ट्रॉजिस्टर के निर्माण में इन तीनों का बड़ा सहयोग था। इन्हें 1972 में भी नोबेल पुरस्कार मिला।
वाल्टर हाउसर ब्राटेन
Walter Houser Brattain
पुरस्कार वर्ष 1956
राष्ट्रीयता: अमरीकी
जन्म : 10 फरवरी, 1902
1956 के नोबेल पुरस्कार के दूसरे भागीदार वाल्टर हाउसर ब्राटेन थे, जिन्होंने अर्द्धचालकों के गुणधर्म की खोज की। इसी खोज के कारण ट्रॉजिस्टरों के विकास में मदद मिली। पुरस्कार में अन्य साथी जान बरडीन और शॉकले थे।
विलियम ब्रेडफोर्ड शॉकले
William Bradford Shockley
पुरस्कार वर्ष 1956
जन्म 19 फरवरी, 1910
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश / अमरीकी
विलियम ब्रेडफोर्ड को जान वरडीन और वाल्टर हाउसर ब्राटेन के साथ भागीदार के रूप में 1956 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया। शॉकले का कार्यक्षेत्र भी ट्रांजिस्टर ही था। उनके अनुसंधान से ट्रॉजिस्टर को विकसित करने में सहायता मिली। इनका जन्म तो लन्दन में हुआ था, परन्तु यह अमरीका आ बसे थे।
त्सुंग-दाओ ली
Tsung-Dao Lee
पुरस्कार वर्ष 1957
जन्म: 25 नवम्बर, 1926
राष्ट्रीयता : चीनी
त्सुंग दाओ ली को 1957 में नोबेल पुरस्कार मिला। उसमें चीन के एक और वैज्ञानिक चेन निंग यंग भागीदार थे त्सुंग दाओ ली ने अनुरूपता (मात्रा) नियमों के संबंध में गहन अन्वेषण किया जिसके फलस्वरूप मूल कणों के संबंध में महत्त्वपूर्ण अनुसंधान संभव हो सके।
चेन निंग यंग
Chen Ning Yang
पुरस्कार वर्ष 1957
जन्म 22 सितम्बर, 1922
राष्ट्रीयता : चीनी
त्सुंग दाओ ली तथा चेन निंग यंग को नोबेल पुरस्कार भागीदार के रूप में मिला। इन्होंने कणों के समता संरक्षण में उल्लंघन की बातें पाईं। इससे भौतिकी के कण संबंधी सिद्धान्त में प्रगति के उपाय संभव हो सके। यह भी चीन के ही थे। दोनों की आयु पुरस्कार के समय क्रमशः इकतीस और पैंतीस वर्ष थी।
पावेल अलेक्सेईविच चेरेन्कोव
Pavel Alekseyevich Cherenkov
पुरस्कार वर्ष 1958
जन्म 28 जुलाई, 1901
राष्ट्रीयता : रूसी
1958 का भौतिक विज्ञान नोबेल पुरस्कार तीन रूसी वैज्ञानिकों को प्राप्त हुआ। इनमें पहले हैं पावेल अलेक्सेइविच चेरेन्कोव। इन्होंने रेडियेशन अर्थात् विकिरण प्रक्रिया के संबंध में अनुसंधान किये और उसकी व्याख्या भी की। इसीलिए इनकी व्याख्या को चेरन्कोव रेडियेशन’ नाम से ही पुकारा जाता है। इन्हें पता चला कि एक्सरे की अपेक्षा गामा किरणों में अधिक ऊर्जा होती है। इससे तरल द्रव्य में नीली चमक पैदा होती है।
इल्या मिखाइलोविच फ्रांक
Ilya Mikhaylovich Frank
पुरस्कार वर्ष 1958
जन्म 23 अक्टूबर, 1908
राष्ट्रीयता : रूसी
1958 के नोबेल पुरस्कार के दूसरे भागीदार रूस के ही वैज्ञानिक इल्या मिखाइलोविच फ्रांक थे। इन्होंने वरेन्कोव द्वारा किये गये विकिरण, जिसे चेरेन्कोव प्रभाव कहते हैं, की सैद्धान्तिक व्याख्या की। इस पुरस्कार में तीसरे साथी थे इगोर ताम। वे भी रूसी थे। में
इगोर येवगेनिविच ताम
lgor yevgenyevich Tamm
पुरस्कार वर्ष 1958
जन्म: 8 जुलाई, 1895
मृत्यु : 12 अप्रैल, 1971
राष्ट्रीयता : रूसी
चेरेन्कोव प्रभाव की व्याख्या और उससे संबंधित अनुसंधान के प्रयत्न के कारण ही इगोर ताम को 1958 के नोबेल पुरस्कार का तीसरा भागीदार बनाया गया। ‘चेरेन्कोव प्रभाव’ विकिरण की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है।
ओवन चेम्बरलेन
Owen Chamberlain
पुरस्कार वर्ष 1959
जन्म : 10 जुलाई, 1920
जन्म स्थान : सान फ्रांसिस्को
नागरिकता : अमरीकी
ओवन चेम्बरलेन को 1959 का नोबेल पुरस्कार एमिलिओ गिनो सेग्रे के साथ भागीदार के रूप में मिला। इनकी भौतिक विज्ञान को सबसे बड़ी देन एण्टी प्रोटान की खोज है। इन्हें यह पुरस्कार उनतालीस वर्ष की आयु में प्राप्त हुआ।
एमिलिओ गिनों सेग्रे
Emilio Gino Segre
पुरस्कार वर्ष 1959
जन्म 1 फरवरी, 1905
राष्ट्रीयता : इटालियन अमरीकी
एमिलियो 1959 के नोबेल पुरस्कार में ओवन चेम्बरलेन के भागीदार थे। इन्हें ओवन चेम्बरलेन के साथ एण्टी प्रोटीन का पता लगाने के लिये यह पुरस्कार मिला। यह इटली के वैज्ञानिक थे परन्तु इन्होंने अमरीकी राष्ट्रीयता प्राप्त कर रखी थी।
डोनाल्ड आर्थर ग्लासर
Donald Arthur Glaser
पुरस्कार वर्ष 1960
जन्म: 21 सितम्बर, 1926
राष्ट्रीयता : अमरीकी
डोनाल्ड आर्थर ग्लासर को 1960 का भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार बबल चैम्बर की खोज और उसके निर्माण के लिए दिया गया। बबल चैम्बर अनुसंधान उपकरण है। इसका उपयोग उप-परमाणु कणों के व्यवहार के अध्ययन के लिए किया जाता है। 1960 के यह एकाकी विजेता थे।
राबर्ट हाफ्सटाटर
Robert Hofstadter
पुरस्कार वर्ष 1961
जन्म: 5 फरवरी, 1915
राष्ट्रीयता : अमरीकी
इस वर्ष (1961) का नोबेल पुरस्कार भी दो व्यक्तियों को बराबर दिया गया। राबर्ट हाफ्सटाटर को पुरस्कार इसलिए दिया गया कि उन्होंने प्रोटोन और न्यूट्रान के ढांचे के संबंध में और अधिक अध्ययन और छानबीन की। न्यूट्रान और प्रोटोन उप-परमाणु कण हैं। इनके अनुसंधान से इनके ढांचे के विषय में और नई बातों का पता चला।
रुदोल्फ लुडविग मॉसाबौर
Rudolf Ludiwg Mossbauer
पुरस्कार वर्ष 1961
जन्म 31 जनवरी, 1929
राष्ट्रीयता : जर्मन
इन्हें सबर्ट हाफ्सटाटर के साथ भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। माँसाबीर जर्मनी के थे और राबर्ट अमरीका के। माँसाबौर ने जो अनुसंधान किया उसे उन्हीं के नाम पर ‘मोसावीर प्रभाव’ कहा जाता है। इन्होंने जो अनुसंधान किया उसे Recoil- Free Gamma Ray Resonance Absorption भी कहते हैं।
व डेविडोविच लैण्डो
Lev Davidovich Landau
पुरस्कार वर्ष 1962
जन्म: 22 जनवरी, 1908
मृत्यु 1 अप्रैल, 1968
राष्ट्रीयता : सोवियत
अजरबेजान (पूर्व सोवियत संघ) के इस भौतिक विज्ञानी को द्रव्यों की घनीभूत स्थिति के विस्तार से अध्ययन के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। इससे धनीभूत द्रव्यों, विशेष रूप से तरल हीलियम का स्वरूप समझने में सरलता हुई। यह अपने समय के महान वैज्ञानिक थे। इन्होंने लो-टैम्परेचर भौतिकी, अटामिक और न्यूक्लियर फिजिक्स के क्षेत्र में काफी कार्य किया।
युजीन पाल विगनर
Eugene Paul Wigner
पुरस्कार वर्ष 1963
जन्म : 17 नवम्बर, 1902
राष्ट्रीयता : हंगरी / अमरीकी
भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में 1963 का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों में बांटा गया। युजीन पाल विगनर को न्यूक्लियर भौतिकी के अनेक क्षेत्रों में योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इन्होंने विशेष रूप से सादृश्य संरक्षण नियमों की स्थापना की। यही इनकी सबसे बड़ी देन है। इनके अन्य दो साथी थे मारिया मेयर और डेनियल जेनसन ।
मारिया गोइपर्ट मेयर
Maria Goeppert Mayer
पुरस्कार वर्ष 1963
जन्म 28 जून, 1906
मृत्यु 20 फरवरी, 1972
राष्ट्रीयता : जर्मन अमरीकी
भौतिक विज्ञान में इस महिला विशेष योगदान यह है कि इन्होंने परमाणु नाभिक के बाहरी कवच के संबंध में जानकारी दी। इस वर्ष के तीनों वैज्ञानिकों ने अणु के बाहरी खोल, कवच या उसके आवरण के संबंध में जानकारी दी। अन्य दो साझीदार युजीन पाल और हैन्स डेनियल थे।
जोहान्स हैंस डेनियल जेनसन
Johannes Hans Daniel Jensen
पुरस्कार वर्ष 1963
जन्म 25 जून, 1907
मृत्यु 11 फरवरी, 1973
राष्ट्रीयता : जर्मन
जर्मनी के इस वैज्ञानिक को भी 1963 के नोबेल पुरस्कार में तीसरे साझीदार के रूप में सम्मानित किया गया। इन्होंने भी नाभिक के बाहरी कवच या खोल के विषय और इस संबंध में सिद्धान्त स्थिर करने में सहायता की। इसके साथ ही इसके स्वभाव और गुणों की भी सविस्तार व्याख्या की। पुरस्कार में भागीदार अन्य दो साथी युजीन पाल विगनर और मारिया मेयर थे।
चार्ल्स हार्ड टौंस
Charles Hard Townes
पुरस्कार वर्ष 1961
जन्म: 28 जुलाई, 1915
राष्ट्रीयता : अमरीकी
इस अमरीकी भौतिक विज्ञानी को क्यांटम इलेक्ट्रानिक्स में अनुसंधान और परिणामस्वरूप मेसर (Maser) के निर्माण के लिए अन्य दो वैज्ञानिकों के साथ भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। मेसर वह युक्ति है जिससे उपकरणों में किसी प्रकार का विक्षोम पैदा हुए बिना रेडियो और रेडार संवेज्ञों को परिवर्धित किया जा सकता है।
निकोले गेन्नादियेविच बासोव
Nikolay Gennadiyevich Basov
पुरस्कार वर्ष 1964
जन्म 14 दिसम्बर, 1922
राष्ट्रीयता : रूसी
क्वांटम इलेक्ट्रानिक्स (इलेक्ट्रानिक्स प्रमात्रा) विषय में मौलिक अनुसंधान के कारण इन्हें अन्य दो वैज्ञानिकों के साथ नोबेल पुरस्कार दिया गया। इनकी खोज से मेसर और लेसर दोनों का विकास संभव हो सका। लेसर एक विशेष सीधी प्रकाश रेखा को कहते हैं, जिसके अनेक उपयोग होते हैं।
अलेक्सान्द्र मिखायलोविच
Aleksandr Mickaylovich
पुरस्कार वर्ष 1964
जन्म : 11 जुलाई, 1916
राष्ट्रीयता : रूसी
क्वांटम इलेक्ट्रानिक्स के मूल सिद्धान्तों की खोज के कारण-जिससे मेसर और लेसर का निर्माण संभव हो सका-इन्हें अन्य वैज्ञानिकों के भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। मेसर और लेसर के विकास से अनेक कार्यों के सम्पन्न होने में सुविधा हुई।
रिचर्ड फिलिप्स फेनमान
Richard Phillips Feynman
पुरस्कार वर्ष 1965
जन्म 11 मई, 1918
राष्ट्रीयता : अमरीकी
रिचर्ड फिलिप्स को भी दो अन्य वैज्ञानिकों के साथ भागीदार के रूप में भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। इन्होंने विशेष रूप से क्वांटम इलेक्ट्रोडायनामिक्स (गत्यात्मकता) के साथ रेडिएशन (विकिरण) इलेक्ट्रॉन्स और पाजिट्रान (घनाणु) की आपसी आभ्यन्तर क्रिया के संबंध में पहले की गलतियों को सुधारा।
जुलिअन सीमूर विंगर
Julian Seymour Schwinger
पुरस्कार वर्ष 1963
जन्म 12 फरवरी, 1918
राष्ट्रीयता : अमरीकी
क्वांटम इलेक्ट्रोडायनामिक्स के संबंध में सिद्धान्त | निश्चित करने से क्वांटम यंत्र विज्ञान का आइन्स्टाइन के आपेक्षता संबंधी विशेष सिद्धान्त से संबंध स्थापित हो जाता है। इन्हें इसी कार्य के लिए फिनमैन और जापानी वैज्ञानिक तोमोनगा के साथ भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
शिनिचिरो तोमोनगा
Shinichiro Tomonaga
पुरस्कार वर्ष 1965
जन्म 31 मार्च, 1906
मृत्यु : 8 जुलाई, 1979
राष्ट्रीयता : जापानी
इन्होंने अपने समकालीन वैज्ञानिकों के साथ इलेक्ट्रोडाइनामिक्स सिद्धान्त में अनेक परिवर्तन किये जिससे इलेक्ट्रोडायनामिक्स आपेक्षिकता के विशेष सिद्धान्त के अनुरूम और अनुकूल बैठता है। इस प्रकार उक्त सिद्धान्तों के संशोधन आदि कार्यों के कारण फिनमेन, सीमूर और तोमोंगा तीनों को 1964 का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
एल्फ्रेड कास्टलर
Alfred Kastler
पुरस्कार वर्ष 1966
मृत्यु : 1981
जन्म 3 मई, 1902
राष्ट्रीयता : फ्रेंच
फ्रांस के इस वैज्ञानिक ने परमाणु के अनुकंपन को मापने की विधि की खोज करके उसे विकसित किया। इसका परिणाम यह हुआ कि अणु की बनावट के संबंध में नई जानकारी प्राप्त हुई। एलफ्रेड कास्टलर को अपनी इसी खोज के कारण नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
हेन्स अलब्रेख्त येथे
Hans Albrecht Bethe
पुरस्कार वर्ष 1967
जन्म 2 जुलाई 1906
राष्ट्रीयता : अमरीकी
इन्होंने भौतिक विज्ञान के दो क्षेत्रों में कार्य किया। इसका एक कार्य तो यह है कि इन्होंने अणु के केन्द्रक अयता नानिक की प्रतिक्रियाओं के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। इनका दूसरा विशेष अन्वेषण कार्य था तारों से ऊर्जा की उत्पत्ति इन्हीं कार्यों के कारण इन्हें 1967, का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
लुईस वाल्टर अल्वारेज
Luis Walter Alvarez
पुरस्कार वर्ष 1968.
जन्म : 18 जून, 1911
राष्ट्रीयता : अमरीकी
लुईस वाल्टर अल्वारेज ने अनुकंपन करने वाले ऐसे अनेक उपआण्विक कणों का पता लगाया जिनका जीवन काल बहुत ही थोड़ा होता है। इनकी उत्पत्ति केवल तभी होती है जब अत्यधिक ऊर्जा युक्त केन्द्रक टकराते हैं। इन्हीं अनुसंधान कार्यों के कारण इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मरे जेल-मान
Murray Gell-Mann
पुरस्कार वर्ष 1969
जन्म: 15 सितम्बर, 1929
राष्ट्रीयता : अमरीकी
इस अमरीकी भौतिक विज्ञानी ने अति उप-आण्विक कणो के संबंध में मानव की अव्यवस्थित जानकारी को व्यवस्थित किया। इस संबंध में इनके अनुसंधान बहुत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं और इसीलिए इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
हेन्नेस अल्फवेन
Hannes Alfven
पुरस्कार वर्ष 1970
जन्म: 30 मई, 1908
राष्ट्रीयता : स्वीडिश
स्वीडन के इस भौतिक विज्ञानी ने प्लाज्मा भौतिकी की स्थापना की। प्लाज्मा रक्त अथवा लसीका ग्रंथियों का तरल तत्व होता है। गैसीय तत्वों से इसमें अणुओं, इलेक्ट्रान और आयनों की वृद्धि हो जाती है। इन्हें फ्रांस के यूजीन फेलिक्स नील के साथ भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
लुइ-यूजीन-फेलिक्स नील
Louis-Eugene-Felix Niel
पुरस्कार वर्ष 1970
जन्म: 22 नवम्बर, 1904
राष्ट्रीयता : फ्रेंच
यूजीन फेलिक्स 1970 के पुरस्कार में भागीदार थे। भौतिक विज्ञान में इनका योगदान काफी महत्त्वपूर्ण है। इन्होंने ठोस तत्त्वों के चुम्बकीय गुण-धर्म का पता लगाया, जिसका उपयोग सालिडस्टेट भौतिकी में किया जाने लगा। 1970 का भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दो वैज्ञानिकों को मिला।
डेनिस गाबोर
Dennis Gabor
पुरस्कार वर्ष 1971
जन्म: 5 जून, 1900
मृत्यु: 8 फरवरी, 1979
राष्ट्रीयता : हंगरी ब्रिटिश
हंगरी के इस वैज्ञानिक ने भौतिक विज्ञान को एक नई देन दी- यह थी होलोग्राफी का आविष्कार-होलोग्राफी एक ऐसी पद्धति है जिससे लेन्स के बिना प्रकाश व्यवस्था से तीन आयामी फोटाग्राफ लेना संभव हो सका। इस प्रकार की फोटोग्राफी के कई अन्य उपयोग भी हैं।
जान बरडीन
John Bardeen
पुरस्कार वर्ष 1972
जन्म: 23 मई, 1908
राष्ट्रीयता : अमरीकी
अमरीका के जान बरडीन, एल. एन. कूपर तथा जान राबर्ट स्क्रिफर को सुपर कण्डक्टिविटी (अति चालकता) के सिद्धान्त का विकास करने के लिए 1972 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया गया। इस सिद्धान्त को आमतौर पर तीनों वैज्ञानिकों के नाम के आधार पर बी सी एस अर्थात् बरडीन का बी, कूपर का सी ओर स्क्रिफर का एस कहा गया। बरडीन 1956 में भी पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
लिऑन एन. कूपर
Leon N. Cooper
पुरस्कार वर्ष : 1972
जन्म 28 फरवरी, 1930
राष्ट्रीयता : अमरीकी
लिऑन एन. कूपर ने भी सुपर कण्डक्टिविटी के विकास में योग दिया। इसीलिए इन्हें भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार दिया गया। लिऑन एन. कूपर ने इलेक्ट्रान युग्मों (Electron Pairs) के सिद्धान्त की भी स्थापना की। इसलिए इस सिद्धान्त को ‘कूपर इलेक्ट्रान पेयर्स’ के नाम से पुकारा जाता है।
जान राबर्ट स्क्रिफर
John Robert Schrieffer
जन्म : 31 मई, 1931
पुरस्कार वर्ष 1972
राष्ट्रीयता : अमरीकी
राबर्ट स्क्रिफर सुपर कण्डक्टिविटी सिद्धान्त के संयुक्त विकास के लिए 1972 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के तीसरे भागीदार थे। तीनों वैज्ञानिक अमरीकी थे। पुरस्कार प्राप्ति के समय तीनों वैज्ञानिक भागीदारों में यह सबसे छोटी आयु के थे। उस समय यह इकतालीस वर्ष के थे।
लिओ इसाकी
Leo Esaki
पुरस्कार वर्ष 1973
जन्म : 12 मार्च, 1925
राष्ट्रीयता : जापानी
लिओ इसाकी जापानी भौतिक विज्ञानी हैं। 1973 का भौतिक विज्ञान का पुरस्कार इन तीन वैज्ञानिकों-इसाकी, गिएबर और ब्रिआन डी. जोसफसन को साथ मिला। इन्होंने विशेष रूप से सेमी कण्डक्टर और सुपर कण्डक्टर इलेक्ट्रानिक्स की मार्ग निर्धारण प्रक्रिया पर विशेष अनुसंधान किये
आइवर गिएवर
Ivar Giaever
पुरस्कार वर्ष 1978
जन्म 5 अप्रैल, 1929
राष्ट्रीयता : नावे अमरीकी
लिओ इसाकी, आइवर गिएवर और ब्रिआन जोसेफसन तीनों को अर्द्ध चालक (सेमी कण्डक्टर) और सुपर कण्डक्टर (अति चालक) के प्रवाह अथवा मार्ग बनाने की प्रक्रिया संबंधी खोज के लिए, भागीदार के रूप में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में नई देन के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। यह अमरीकी वैज्ञानिक हैं।
ब्रिआन डी. जोसेफसन
Brian D. Josephson
पुरस्कार वर्ष 1973
जन्म : 4 जनवरी, 1940
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
ब्रिआन डी. जोसेफसन ने विद्युत धारा के संबंध में जो खोज की उसे ‘जोसेफसन प्रभाव’ के नाम से पुकारा जाता है। इन्होंने अति संवाहक दो चीजों में, जिन्हें पतली विद्युतरोधी परत अलग करती है, विद्युत धारा की प्रवाह प्रक्रिया के संबंध में खोज की। इसलिए इन्हें केवल तैंतीस वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
एण्टनी हेविश
Antony Hewish
पुरस्कार वर्ष 1974
जन्म 11 मई, 1924
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
एण्टनी का भौतिकी में खोज का विषय रेडियो लाग भौतिकी (Radio astrophysics) था। इसके अतिरिक्त इन्होंने विशिष्ट तारों की खोज का कार्य सम्पन्न किया। इन्हें सर मार्टिन राइले के साथ भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार दिया गया। तारा भौतिकी में तारों की बनावट आदि विषयों का अध्ययन किया जाता है।
सर मार्टिन राइले
Sir Martin Ryle
पुरस्कार वर्ष 1974
जन्म: 27 दिसम्बर, 1918
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
रेडियो तारा-भौतिकी में छिप्र संश्लेषण (aperture synthesis) एक विशिष्ट प्रक्रिया है। सर मार्टिन राइले ने इस दिशा में नया मार्ग निर्दिष्ट करने का कार्य किया। इन्हें रेडियो तारा भौतिकी और नये तारों की खोज करने वाले हेविश के साथ भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
आगे बोर
- Aage Bohr
पुरस्कार वर्ष 1975
जन्म 19 जून, 1922
राष्ट्रीयता : डेनिश
परमाणु की जानकारी भौतिकी का मुख्य विषय है क्योंकि परमाणु इतने सूक्ष्म होते हैं कि उन्हें शक्तिशाली सूक्ष्मदर्शी से भी देखना कठिन होता है। इसके अतिरिक्त हर परमाणु का एक केन्द्रक भी होता है। उसका अध्ययन और भी कठिन है। परमाणु के केन्द्रक या नाभिक का अध्ययन बोर के साथ-साथ बेन राय मॉटलसन ने भी किया। इन्हें केन्द्रक के अध्ययन के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। यह नील्स, बोर के पुत्र हैं।
बेन राय मॉटलसन
Ben Roy Mottelson
पुरस्कार वर्ष 1975
जन्म : 9 जुलाई, 1926
राष्ट्रीयता : अमरीकी डेनिश
चैन राय मॉटलसन को भी परमाणु के नाभिक के ढांचे के अध्ययन और उसके संबंध में सिद्धान्त स्थिर करने के लिए, नोबेल पुरस्कार दिया गया। वे 1975 के पुरस्कार के भागीदार थे। इनके एक और साथी रेनवाटर थे।
जेम्स रेनवाटर
James Rainwater
पुरस्कार वर्ष 1975
जन्म 9 दिसम्बर, 1917
राष्ट्रीयता : अमरीकी
जेम्स रेनवाटर ने भी परमाणु के नाभिक के संबंध में खोज की। 1975 के भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार पाने वाले अन्य दो व्यक्तियों ने जो अध्ययन किये थे, रेनवाटर का अध्ययन और खोज थोड़ा आगे थी जिसके कारण परमाणु का संगलन संभव हो सका और परमाणु ऊर्जा का विकास संभव हो पाया। इन्हें इसीलिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
बर्टन रिक्टर
Burton Richter
पुरस्कार वर्ष 1976
जन्म 22 मार्च, 1931
राष्ट्रीयता : अमरीकी
परमाणु के अनेक भेद हैं। उनके केन्द्र अथवा नाभिक कणों के अतिरिक्त कुछ अन्य कण भी होते हैं जिन्हें उप परमाण्वीय (sub atomic) कण कहते हैं। बर्टन रिक्टर ने इन उप- परमाण्वीय कणों की खोज स्वतन्त्र रूप से की। रिक्टर ने उनका नाम ‘psi’ रखा। इन्हें इसी खोज के कारण नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
सैम्युअल सी. सी. टिंग
Samuel C. C. Ting
पुरस्कार वर्ष 1976
जन्म 26 जनवरी, 1936
राष्ट्रीयता : अमरीकी
सी. सी. टिंग ने भी उप-परमाण्वीय कर्णो का पता लगाया। 1976 वर्ष के नोबेल पुरस्कार के विजेताओं का कार्य स्वतन्त्र रूप से हुआ था। इन्होंने उप परमाण्वीय कणों का पता लगाया से था, इन्होंने उनका नाम ‘j’ रखा जिन्हें रिस्टर ने ‘psi’ कहा था। इन्हें 1976 का नोबेल पुरस्कार भागीदार के रूप में प्राप्त हुआ।
फिलिप डब्ल्यू. एण्डरसन
Philip W. Anderson
पुरस्कार वर्ष 1977
जन्म : 1923
राष्ट्रीयता: अमरीकी
श्री एण्डरसन को, अपारदर्शी ठोस चुम्बकीय द्रव्यों में इलेक्ट्रान कैसे व्यवहार करता है, का अध्ययन करने और उसे समझने में उपयोगी बनाने के लिए भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार दिया गया। इस वर्ष के पुरस्कार के तीन वैज्ञानिक भागीदार थे। एक ये ब्रिटेन के सर मॉट और दूसरे थे अमरीका के जान एच. ब्लेक
सर नेविल एफ. मॉट
Sir Nevill F. Mott
पुरस्कार वर्ष 1977
जन्म: 30 सितम्बर, 1905
राष्ट्रीयता : ब्रिटिश
सर नेविल मॉट ने भी अपारदर्शी चुम्बकीय द्रव्यों में इलेक्ट्रान की प्रक्रियाओं के संबंध में खोज की। इन्होंने अन्य दो साथियों द्वारा किये कार्य में सहयोग देकर उसे आगे बढ़ाया। तीनों को 1977 का नोबेल पुरस्कार भागीदार के रूप में मिला। तीनों का विषय इलेक्ट्रान ही था।
जॉन एच. वान ब्लेक
John H. Van Vleck
पुरस्कार वर्ष 1972
जन्म 13 मार्च, 1899
मृत्यु : नवम्बर, 1980
अपारदर्शी चुम्बकीय द्रव्यों में इलेक्ट्रान के व्यवहार के अध्ययन और खोज में इनका भी हाथ है। इसीलिए इन्हें भी अन्य दो वैज्ञानिक साथियों के साथ 1977 का नोबेल पुरस्कार दिया गया। इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर घूमने वाला एक अणु है। इसका अध्ययन अनेक वैज्ञानिकों ने किया है।
प्योत्र लिओनिदोविच कापित्सा
Pyotr Leonidovich Kapitsa
पुरस्कार वर्ष 1978
जन्म : 8 जुलाई, 1894
मृत्यु 18 अप्रैल, 1984
राष्ट्रीयता : रूसी
यह रूसी भौतिक विज्ञानी थे। इन्होंने मैगनेटिज्म और कम तापमान-भौतिकी के क्षेत्र में अनुसंधान किया। इन्होंने हीलियम को द्रव (liquid) बनाने के यंत्र का आविष्कार किया। अमरीका के पेन्जियाज़ और विलसन के साथ नोबेल पुरस्कार में इन्हें भागीदार बनाया गया।
एन ए. पेन्ज़ियाज़
Arno A. Penzias
पुरस्कार वर्ष 1978
जन्म: 26 अप्रैल, 1993
राष्ट्रीयता : अमरीकी
पेन्जियाज़ 1978 के नोबेल पुरस्कार में भागीदार थे परन्तु इनकी खोज का विषय स्वतन्त्र था। इन्होंने अन्तरिक्ष पृष्ठभूमि में विकिरण का पता लगाया। इनकी इस खोज ने ब्रह्माण्ड के निर्माण के संबंध में भारी विस्फोट (Big bang) सिद्धान्त की परिकल्पना की पुष्टि की और उसे बल दिया।
राबर्ट वुडरो विल्सन
Robert Woodrow Wilson
पुरस्कार वर्ष 1978
जन्म 10 जनवरी, 1936
राष्ट्रीयता : अमरीकी
राबर्ट विल्सन ने पेन्जियाज़ के साथ अन्तरिक्षीय पृष्ठभूमि में विकिरण की खोज की। इससे उस प्राक्कल्पना को बल मिलता है जिसके अनुसार ब्रह्माण्ड के निर्माण का कारण भारी विस्फोट को माना जाता है। इस प्रकार 1978 के नोबेल पुरस्कार के यह भागीदार बने।
शेल्डन एल. ग्लासहो
Sheldon L. Glashow
पुरस्कार वर्ष 1979
जन्म 1932
राष्ट्रीयता : अमरीकी
अमेरिका के शेल्डन एल. ग्लासहो, पाकिस्तान के अब्दुस्सलाम और अमरीका के स्टीवन वीनवर्ग-तीनों को 1979 का भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार भागीदार के रूप में दिया गया। शेल्डन ने इलेक्ट्रोमैगनेटिज्म और उप-परमाण्विक कणों की आपसी दुर्बल क्रिया का संबंध बताया। अर्थात् यह बताया वे आपस में किस प्रकार व्यवहार करते हैं।
अब्दुस्सलाम
Abdussalam
पुरस्कार वर्ष 1979
जन्म: 29 जनवरी, 1926
राष्ट्रीयता : पाकिस्तानी
अब्दुस्सलाम पाकिस्तान के झंग शहर के रहने वाले थे। उन्होंने उच्च शिक्षा लाहौर के गवर्नमेण्ट कॉलिज में प्राप्त की और उसके बाद विदेश जाकर डाक्टरेट की पदवी प्राप्त की और वहीं रहकर काम करने लगे। यह गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी दोनों थे। इन्होंने क्वांटम सिद्धान्त को विकसित करने में सहायता की। इसका आधार वीक और स्ट्रांग फोर्स को माना जाता है। स्ट्रांग फोर्स हैं प्रोटोन और न्यूट्रान, जिनसे एटम का नाभिक बनता है।
स्टीवन वीनबर्ग
Steven Weinberg
पुरस्कार वर्ष 1979
जन्म : 1938
राष्ट्रीयता : अमरीकी
इन्होंने भौतिक विज्ञान के सैद्धान्तिक पक्ष को विकसित | किया। इनकी भौतिक विज्ञान के अनेक क्षेत्रों में रुचि थी। इन्होंने प्रकृति की मूल शक्तियों के तालमेल का यत्न किया। पहले तीन मुख्य शक्तियां मानी जाती थीं-गुरुत्व, इलेक्ट्रॉनिकी और चुंबकत्व। परन्तु कुछ वैज्ञानिकों का कहना था कि बिजली और चुंबकत्व स्वतंत्र नहीं (इन्हें इलैक्ट्रोमैगनेटिज्म कहा जाता है)। इन्होंने इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म तथा उप-परमाण्विक कणों की अंतर्किया के बीच साम्य स्थापित किया।
जेम्स डब्ल्यू. क्रोनिन
James W. Cronin
पुरस्कार वर्ष 1980
जन्म: 29 सितम्बर, 1931
राष्ट्रीयता : अमरीकी
क्रोनिन का कहना है कि ग्लासगो विश्वविद्यालय में एनरिको फेर्मी, मारिया आदि से मिलने के बाद भौतिक विज्ञान में उनकी रुचि हुई। इन्होंने कणों से संबंधित भौतिक विज्ञान को अपनी खोज का विषय बनाया। इन्होंने के-मेसान कणों का अध्ययन किया। इन्हें फिच के साथ नोबेल पुरस्कार दिया गया। के-मेसान को आजकल केओन्स (Kaons) कहते हैं। यह प्रोटोन से स्वरूप में आधा होता है
वाल एल. फिच
Val L. Fitch
पुरस्कार वर्ष 1980
जन्म 10 मार्च, 1923
राष्ट्रीयता : अमरीकी
वाल एल. फिच का जन्म नेब्रास्का के चेरी काउण्टी नामक स्थान के पशुओं के बाड़े (केटलरेंच) में हुआ था। प्रारम्भिक शिक्षा के बाद मैनहट्टन में सेना के गुप्त इंजीनियरिंग विभाग में इनकी नियुक्ति हुई। वहां प्रसिद्ध अणु वैज्ञानिक फेमीं से इनका परिचय हुआ और भौतिकी में रुचि पैदा हुई। अमरीका ने न्यू मेक्सिको के रेगिस्तान में जब अणु बम परीक्षण किया था तो यह वहीं थे। इन्होंने अणुओं की संयुक्त प्रक्रिया पर कार्य किया।
काई एम. सीजबान
Kai M. Slegbahn
पुरस्कार वर्ष 1981
जन्म 20 अप्रैल, 1918
राष्ट्रीयता : स्वीडिश
सीजवान ने उपासला विश्वविद्यालय से शिक्षा समाप्त करके स्टाकहोम के नोबेल इन्स्टीट्यूट फार फिजिक्स में अनुसंधान सहायक के पद पर काम आरंभ किया। इन्होंने बीटा रे (इलेक्ट्रान) के नाभिक पर कार्य किया। नाभिक की बनावट का अध्ययन करने के लिए इलेक्ट्रॉन स्पेक्ट्रोस्कोपी (यंत्र) को विकसित करने में योग दिया। नोबेल पुरस्कार में इनके साथी थे-निकोलास ब्लोम वर्गन और शावलोव
निकोलास ब्लोमबर्गन
Nicolaas Bloembergen
पुरस्कार वर्ष 1981
जन्म : 11 मार्च, 1920
राष्ट्रीयता : डच अमरीकी
यह हालैण्ड के थे। 1940 में हालेण्ड पर नाजी कब्जा हो जाने पर वैज्ञानिक वहां से भाग निकले। विश्वविद्यालय बन्द कर दिये गये-पर इनका सौभाग्य था कि इन्हें तब तक स्नातक डिग्री मिल चुकी थी। फिजिक्स कठिन विषय होने के कारण इन्हें प्रिय था। इन्होंने गुप्त रूप से परमाणु सिद्धान्त का अध्ययन किया। इन्होंने स्पेक्ट्रोस्कोपी में लेज़र का उपयोग किया। 1949 में वे हावर्ड विश्वविद्यालय में अध्यापन करने लगे।
आर्थर एल. शावलोव
Arthur L. Schawlow
वर्ष 1981 जन्म 1921
राष्ट्रीयता : अमरीकी
इनके पिता इनके जन्म से दस वर्ष पूर्व रीगा-लातीविया से अमरीका आ गये थे। जब यह तीन वर्ष के थे तो परिवार कनाडा आ गया। पिता इन्हें रेडियो इंजीनियर बनाना चाहते
थे पर टोरंटो विश्वविद्यालय से इन्हें फिजिक्स के लिए छात्रवृत्ति मिल गई। पहले उन्होंने आप्टीकल स्पेक्ट्रोस्कोपी पर काम किया। बाद में कोलम्बिया विश्वविद्यालय में लेजर स्पेक्ट्रोस्कोपी के विकास में योग दिया। इसीलिए इन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।
केनेथ गेड्डेस विल्सन
Kenneth Geddes Wilson
पुरस्कार वर्ष 1982
जन्म 8 जून, 1936
राष्ट्रीयता: अमरीकी
इनके पिता माइक्रोवेव स्पेक्ट्रोस्कोपी के विशेषज्ञ थे। यह गणित में बहुत दक्ष थे। इन्होंने अणु के क्रमिक संक्रमण का
अध्ययन किया और इसी महत्त्वपूर्ण और मार्गदर्शक कार्य के लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
चन्द्रशेखर सुब्रह्मण्यन
Chandrashekhar Subrahmanyan
पुरस्कार वर्ष 1988
जन्म 19 अक्टूबर, 1910
राष्ट्रीयता : भारतीय
अमरीकी डा. चन्द्रशेखर का जन्म लाहौर में हुआ था। आरम्भिक शिक्षा भारत में होने के बाद वे 1930 में इंग्लैण्ड चले गये। चन्द्रशेखर का मुख्य विषय है-खगोल भौतिकी-अर्थात् तारों के निर्माण, उनके विकास और उनकी समाप्ति का विज्ञान। इन्हें इसी कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। वे काफी समय से अमरीका में बस गये हैं। परन्तु अब भी भारत से उनका भरपूर प्रेम है। वे डा. रामन के निकट संबंधी हैं।
विलियम एल्फ्रेड फाउलर
William Alfred Fowler
पुरस्कार वर्ष 1983
जन्म 9 अगस्त, 1911
राष्ट्रीयता: अमरीकी
इनका विषय भी खगोल भौतिकी से ही संबंधित है। इन्होंने |ब्रह्माण्ड में रासायनिक तत्त्वों के निर्माण में परमाण्विक प्रतिक्रियाओं के महत्व का अध्ययन किया। इसीलिए इन्हें डा. चन्द्रशेखर के साथ भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। इन्होंने इस विषय से संबंधित सिद्धान्तों और अन्वेषणात्मक अध्ययनों की प्रस्तुत किया।
कार्लो रूबिया
Carlo Rubbia
पुरस्कार वर्ष 1984
जन्म 1934
राष्ट्रीयता : इटालियन
रूविया पीसा (इटली) के थे। इन्होंने जिनेवा के निकट स्थित सेण्टर फार यूरोपियन न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) संस्थान में हालैण्ड के वान्डर मीर के साथ डब्ल्यू तथा जेड परमाणु कणों की खोज की स्ट्रांग और वीक शक्तियां कणों का आपसी आदान-प्रदान करती है। इन्हीं अणु कणों की खोज के कारण इन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
साइमन वान्डर मीर
Simon Vander Meer
पुरस्कार वर्ष 1984
जन्म 1925
राष्ट्रीयता : डच
इन्होंने भी कार्लो रूविया के साथ यूरोपियन परमाणु परीक्षण केन्द्र (CERN) में काम किया। यह इस अनुसंधान केन्द्र के प्रमुख इंजीनियर थे और इन्होंने एक ऐसे उपकरण का आविष्कार किया जिससे परमाणु कणों में वृद्धि संबंधी एक और समस्या का हल प्राप्त हो गया। वे कालों रूविया के साथ नोबेल पुरस्कार के साझी भागीदार थे।
क्लाउस वान क्लिजिंग
Klaus Von Klitjing
पुरस्कार वर्ष 1985
जन्म : 1943
राष्ट्रीयता : पोलिश जर्मन
भौतिक विज्ञान में इनका बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनकी विशेषता यह है कि इन्होंने उस कठिनाई को दूर किया जो सेमी कण्डक्टरों के निर्माण में आ रही थी। इन्होंने सेमी कण्डक्टर की डिजाइनिंग का मार्ग प्रशस्त किया। 1985 का भौतिकी में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले यह अकेले व्यक्ति थे।
गर्ड बिनिंग
Gerd Binning
पुरस्कार वर्ष 1986
राष्ट्रीयता : जर्मन
इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार रुस्का नामक भौतिक विज्ञानी ने किया था परन्तु इन्होंने ऐसे माइक्रोस्कोप का निर्माण किया जो अधिक सही स्कैनिंग करने में समर्थ था। भौतिक विज्ञान में स्नातक बनने के बाद वे सी. ई. आर. एन. के अनुसंधान स्टाफ के सदस्य बने।
हेनरिख रोहरर
Heinrich Rohrer
पुरस्कार वर्ष 1986
जन्म : 1933
राष्ट्रीयता : स्विस
इनका जन्म स्विट्जरलैण्ड के पूर्वी भाग में हुआ था। इनकी भौतिकी और रसायन विज्ञान दोनों में रुचि थी। इन्होंने द्रव्य के ढांचे के अध्ययन में भी समय लगाया और सालिड स्टेट में रुचि ली। इन्होंने बिनिंग के साथ सही स्केनिंग प्रक्रिया के विकास में काम किया और नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया।
अर्नस्ट रुस्का
Ernst Ruska
पुरस्कार वर्ष 1956
राष्ट्रीयता : जर्मन
रुस्का ने सबसे पहले इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप के सिद्धान्त की स्थापना की। इन्होंने जो इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप बनाया उसमें दो मैगनेटिक कॉयल होते हैं। इन्होंने इलेक्ट्रान आपटिक्स पर भी कार्य किया। इनके अन्य दो पुरस्कार भागीदारों ने इस यन्त्र में और विकास किया।
कार्ल एलेक्स मुल्लर
Karl Alex Muller
पुरस्कार वर्ष 1987
राष्ट्रीयताL: स्विस
यह स्विट्ज़रलैण्ड के थे। शिक्षा समाप्ति के बाद वे ज्यूरिच की आइ. बी. एम. अनुसंधानशाला में काम करने लगे। इन्हें जर्मनी के एक और साथी के साथ हाई टेम्परेचर सुपर कण्डक्टिविटी की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। इनकी खोज बहुत शीघ्र उपयोग में आने लगी। इन्होंने दो सौ से अधिक तकनीकी प्रकाशन भी किये।
जोहान्स जार्ज बेडनोर्ज
Johannes Georg Bednorz
पुरस्कार वर्ष 1987
राष्ट्रीयता : जर्मन
यह जर्मनी के भौतिक विज्ञानी थे। द्वितीय विश्वयुद्ध की उथल-पुथल में यह अपने परिवार से बिछुड़ गये। परिवार का पुनर्मिलन 1949 में हुआ। इन्हें कार्ल मुल्लर के साथ उच्च ताप युक्त सुपर कण्डक्टिीविटी की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया।
लिओ मैक्स लेडरमैन
Leo Max Lederman
पुरस्कार वर्ष 1988
जन्म: 15 जुलाई, 1922
राष्ट्रीयता: अमरीकी
लेडरमैन ने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय तीन वर्ष अमरीकी सैनिक के रूप में बिताये। युद्ध समाप्ति के बाद वे कोलम्बिया विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग में आ गये और विज्ञान के प्रति पूर्ण समर्पण भावना से काम करने लगे। इन्हें अन्य दो साथियों के साथ द्रव्य की आभ्यंतरिक रचना और गति विज्ञान के क्षेत्र में कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया।
मेलविन श्वार्ज़ जूनियर
Melvin Schwartz Jr.
पुरस्कार वर्ष 1988
जन्म 8 अक्टूबर 1928
राष्ट्रीयता : अमरीकी
अमरीकी मंदी के दिनों में इन्हें माता-पिता की सहायता के लिए काफी कष्ट उठाना पड़ा। इनके पिता लाण्ट्री का काम करते थे। इनकी शिक्षा एक साइंस स्कूल में हुई। इनका विज्ञान के संबंध में यह विचार था कि विज्ञान की शक्ति का उपयोग मानव कल्याण के लिए होना चाहिए। इन्होंने भी द्रव्य की आभ्यन्तरिक रचना और गत्यात्मकता का अध्ययन किया।
जैक स्टीनबर्गर
Jack Steinberger
पुरस्कार वर्ष 1988
जन्म: 25 मई, 1921
राष्ट्रीयता : जर्मन / अमरीकी
यह थे जर्मन वैज्ञानिक परन्तु नाजियों के सत्ता में आने पर बहुत से वैज्ञानिकों को वहां से पलायन करना पड़ा। इनके डाक्टरेट की थीसिस के एडवाइजर एनरिको फेर्मी थे। उसके बाद वे भी यूरोपियन सेण्टर फार न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) में अनुसंधान करने लगे। इन्होंने भी अन्य दो वैज्ञानिकों के साथ द्रव्य के आभ्यन्तरिक ढांचे का अध्ययन किया। राष्ट्रपति रीगन ने भी इन्हें सम्मानित किया था।
नार्मन फोस्टर रैमजे जूनि
Norman Foster Ramsey Jr.
पुरस्कार वर्ष 1989
जन्म 27 अगस्त, 1915
राष्ट्रीयता : अमरीकी
इन्होंने पहले इंजीनियरिंग पढ़ी परन्तु बाद में भौतिक विज्ञान की ओर आकृष्ट हुए। इन्होंने परमाणु और कणों के गुणधर्म का विवेचन किया। इसी खोज के आधार पर अटामिक क्लाक का निर्माण संभव हो सका। इन्होंने परमाण्विक परिशुद्धता से स्पेक्ट्रोस्कोपी को विकसित करने में योग दिया। मेसर की खोज में भी इनका योगदान है।
वुल्फगांग पॉल
Wolfgang Paul
पुरस्कार वर्ष 1989
जन्म 1923
राष्ट्रीयता : जर्मन
डाक्टरेट की थीसिस पूरी करके देने से कुछ समय पूर्व इन्हें जर्मन वायुसेना में भरती कर दिया गया। परन्तु कुछ महीने बाद थीसिस पूरा करने का अवसर दे दिया गया। इन्होंने मैगनेटिक लेन्स का विकास और अटामिक क्लाक को और विकसित करने का प्रयास किया। अटामिक परिशुद्धता युक्त स्पेक्ट्रोस्कोपी का विकास इनकी महत्त्वपूर्ण देन है।
हेन्स जार्ज डेहमेल्ट
Hans Georg Dehmelt
पुरस्कार वर्ष 1989
जन्म 9 सितम्बर, 1922
राष्ट्रीयता : जर्मन
इनकी भौतिक विज्ञान के साथ जीव विज्ञान में भी रुचि थी। द्वितीय विश्वयुद्ध में इन्हें जर्मनी के एण्टी एयर क्राफ्ट (विमान भेदी तोप) विभाग में भरती होना पड़ा। इन्हें अन्य दो साथियों-वुल्फगांग पाल और नार्मन फोस्टर रैमजे जूनि. के साथ भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
हेनरी वे केण्डाल
Henry Way Kendall
पुरस्कार वर्ष 1990
जन्म 9 दिसम्बर, 1926
राष्ट्रीयता : अमरीकी
यह भी द्वितीय विश्वयुद्ध के समय से संबंधित वैज्ञानिक हैं। जिस समय अमरीका ने जापान पर एटम बम गिराकर उसे युद्ध में घुटने टेकने पर विवश किया था, उस समय यह मर्चेण्ट मैरीन अकेडमी में प्रशिक्षण ले रहे थे। भौतिक विज्ञान में इनका प्रमुख योगदान यह है कि इन्होंने क्वार्क नामक अत्यन्त सूक्ष्म कणों की विद्यमानता का पता लगाया।
जेरोम आइजक फ्रीडमैन
Jerome Issac Friedman
पुरस्कार वर्ष 1990
जन्म 28 मार्च, 1930
राष्ट्रीयता : अमरीकी
इनकी प्रारम्भ में कला में रुचि थी और वे आर्टिस्ट बनना चाहते थे परन्तु जब इन्होंने आइन्स्टाइन को पढ़ा तो इनकी रुचि भौतिक विज्ञान में हो गई और यह भी क्वार्क नामक कण के अनुसंधान में लग गये। क्वार्क मूल कण माने जाते हैं और ब्रह्माण्ड के निर्माण में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इन्हें दो साथियों के साथ भागीदार के रूप में नोबेल पुरस्कार मिला ।
रिचर्ड एडवर्ड टेल
Richard Edward Taylor
पुरस्कार वर्ष 1990
जन्म 2 नवम्बर, 1929
राष्ट्रीयता : कनाडियन/अमरीकी
क्वार्क नामक कणों की खोज का कार्य जिन वैज्ञानिकों ने किया उनकी आयु 60 से 64 वर्ष तक की थी। यह तीन वैज्ञानिक थे- हेनरी केण्डाल, फ्रीडमान और स्वयं टेलर। इनका विचार है कि क्वार्क उपपरमाणु कणों के मूल अंग हैं। क्वार्क कणों का अदृश्य सा झुण्ड होता है और ब्रह्माण्ड के निर्माण में इनका बहुत महत्त्व है।
पियरे गिल्स डी जेन्स
Pierre-Gilles de Gennes
पुरस्कार वर्ष 1991
जन्म 24 अक्टूबर, 1932
जन्म स्थान : पेरिस राष्ट्रीयता फ्रेंच
इन्हें नोबेल पुरस्कार देते समय स्वीडिश अकादेमी के प्रवक्ता ने डी जेन्स को ‘आधुनिक काल का आइज़क न्यूटन कहा था डी जेन्स ने अपने अनुसंधानों द्वारा भौतिक विज्ञान के मूल सिद्धान्तों में समानता सिद्ध करने का यत्न किया। इन्होंने अन्य कार्यों के साथ यह भी बताया कि कैसे प्रतिक्रिया करता है। इन्होंने फ्रेंच नेवी विश्वविद्यालय में अध्यापन भी किया।
जिओर्जस चारपाक
Georges Charpak
पुरस्कार वर्ष 1992
जन्म : 1924
राष्ट्रीयता ; फ्रेंच
चारपाक फ्रांस के भौतिक शास्त्री हैं। इन्हें 1992 का भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार दिया गया। इन्होंने उप-परमाण्वीय कणों से संबंधित परीक्षणों में तेजी से आंकड़े इकट्ठे करने के लिए एक डिटेक्टर का आविष्कार किया। इससे द्रव्य के आभ्यन्तरिक भाग की छानबीन के काम के लिए एक नया मार्ग मिला। इस डिटेक्टर का उपयोग यूरोपियन सेण्टर फार न्यूक्लियर रिसर्च (CERN). जिनेवा में किया जा रहा है।
जोसफ एच. टेलर
Joseph H. Taylor
पुरस्कार वर्ष 1993
राष्ट्रीयता : अमरीकी
जोसफ टेलर अमरीकी भौतिक शास्त्री हैं। इन्होंने और इनके एक छात्र हल्स ने 1974 में दो युग्म तारों का पता लगाया था। इनसे अन्तरिक्ष अनुसंधान स्थापित करने में सहायता मिल सकती है जिसमें आइन्स्टाइन के आपेक्षिकता सिद्धान्त का परीक्षण किया जा सके। उनसे आइन्स्टाइन के इस सिद्धान्त की पुष्टि हो चुकी है कि घूमते हुए पिण्ड गुरुत्वाकर्षण तरंगें फेंकते हैं। ब्रह्माण्ड में यह तरंगें बिल्कुल वैसी ही हैं जैसी तालाब में पत्थर फेंकने से उठती हैं। यह एक दूसरे के गिर्द घूमते हुए शक्तिशाली विकिरण उत्पन्न करते हैं।
रसेल हल्स
Russell Hulse
पुरस्कार वर्ष 1995
राष्ट्रीयता : अमरीकी
रसेल हल्स अमरीकी भौतिक विज्ञानी हैं और प्रिन्सटन | विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। 1995 का भौतिकी नोबेल पुरस्कार हल्स और जोसफ टेलर को इसलिए दिया गया कि इन्होंने दो नये युग्म तारों का पता पहले-पहल 1974 में लगाया। इन्होंने यह कार्य 300 मीटर लंबी रेडियो टेलीस्कोप द्वारा किया। जब इन्होंने यह पता लगाया था तो ये मैसाचुसेटस विश्वविद्यालय में मि. टेलर के विद्यार्थी थे।
क्लिफर्ड जी. शल
Clifford G. Shull
पुरस्कार : वर्ष 1991
क्लिफर्ड शल को भौतिक विज्ञान में विशिष्ट कार्य के लिए 1994 का नोबेल पुरस्कार दिया गया। इनका संबंध मैसाचुसेटस के तकनीकी संस्थान से है। 1994 का भौतिक विज्ञान पुरस्कार दो को मिला। दूसरे थे बर्ट्रेम एन. ब्रोक हाउस। इन्होंने द्रव्यों का अध्ययन न्यूट्रोन किरणों द्वारा आरंभ किया। इसका उपयोग विज्ञान के अनेक क्षेत्रों में होता है-जैसे सुपर कण्डक्टर और कम्प्यूटर की मेमोरी के और अधिक विकास के लिए।
बर्ट्रेम एन. ब्रोकहाउस
Bertram N. Brockhouse
पुरस्कार वर्ष 1994
राष्ट्रीयता : कनाडियन
यह कनाडा के हैं और इनका संबंध हैमिल्टन के मैककास्टर विश्वविद्यालय से है। इन्होंने जिस प्रकार अणुओं के ढांचे का अध्ययन और सिरेमिक से सुपर कण्डक्टरों का निर्माण कार्य किया, उसकी बहुत प्रशंसा की गई और इसीलिए उन्हें 1994 का भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
मार्टिन पर्ल
Martin Perl
पुरस्कार वर्ष 1995
जन्म 24 जून, 1927
राष्ट्रीयता : अमरीकी
मार्टिन पर्ल अमरीकन भौतिक विज्ञानी हैं। इन्हें 1995 का नोबेल भौतिकी पुरस्कार दिया गया। इस वर्ष के पुरस्कार में दूसरे भागीदार भी अमरीका के फ्रेडरिक रीन्स हैं। इन्होंने तो लेप्टन (tau lepton) कणों का पता लगाया। यह इलेक्ट्रान से संबंधित हैं। लेप्टन भौतिकी में इनका कार्य महत्त्वपूर्ण माना गया।
फ्रेडरिक रीन्स
Frederick Reines
पुरस्कार वर्ष 1995
जन्म 16 मार्च, 1918
राष्ट्रीयता : अमरीकी
रीन्स भी अमरीकी वैज्ञानिक हैं। इन्होंने न्यूट्रीनों का पता लगाया। स्वीडिश अकादेमी ने अपनी प्रशस्ति में कहा था कि इन्होंने स्व. क्लाइड कोवान के साथ 1950 के दशक में यह प्रत्यक्ष दिखा दिया कि एण्टी न्यूट्रीनो विद्यमान हैं। दोनों वैज्ञानिकों ने लेप्टन भौतिकी के क्षेत्र में विशेष योगदान किया। लेप्टन वे मूल कण हैं जिनमें आपसी तेज अन्तःक्रिया नहीं होती।
डेविड एम. ली
David M. Lee
जन्म : 1931
पुरस्कार वर्ष 1996
राष्ट्रीयता : अमरीकी
इन्हें हीलियम-3 की अतितरलता (Superfluidity) का पता लगाने के लिए यह पुरस्कार दिया गया। इन्होंने दिखाया कि अत्यन्त कम ताप ( 273 सी के लगभग) पर द्रव-हीलियम-3 अपनी श्यानता तक खो देता है और पूर्ण निर्वाधता से प्रवाहित होने लगता है। – 273° सी के तापमान को निरपेक्ष शून्य भी कहा जाता है। दो अन्य वैज्ञानिकों को भी यह पुरस्कार दिया गया।
राबर्ट सी. रिचर्डसन
Robert C. Richardson
पुरस्कार वर्ष 1996
जन्म 1997
राष्ट्रीयता : अमरीकी
रिचर्डसन भी डेविड एम. ली की तरह कार्नेल विश्वविद्यालय से जुड़े थे। इन्होंने भी हीलियम-3 की अतितरलता का पता लगाया। हीलियम-3 के साधारण द्रव्य से अतितरल रूप में पहुंचने की प्रक्रिया में उसके गुणधर्म में जो परिवर्तन आते हैं, उनका विश्लेषण कर ब्रह्माण्ड के कुछ गूढ रहस्यों का पता पाया जा सकता है।
डगलस डी. ओशेरोफ
Douglas D. Osheroff
पुरस्कार वर्ष 1996
जन्म 1944
राष्ट्रीयता : अमरीकी
यह स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से जुड़े हैं। डेविड ली तथा राबर्ट रिचर्डसन के साथ इन्होंने भी हीलियम-3 की अतितरलता का पता लगाया। इस अवस्था में हीलियम-3 में विचित्र गु आ जाते हैं। यह किसी पात्र की अन्दरूनी दीवार पर चढ़ अपने-आप बाहर लुढ़क जाता है। इस खोज में अनेक संभावनाएं देखी जा रही है।