Manglesh Dabral Jeevan Parichay | मंगलेश डबराल जीवन-परिचय

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मंगलेश डबराल जीवन-परिचय –

नई कविता के कवियों में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले कवि मंगलेश डबराल का जन्म उतरांचल के टिहरी गढ़वाल के काफल पानी गाँव में सन् 1948 में हुआ। देहरादून में रहकर उन्होंने अपना अध्ययन कार्य पूरा किया। उसके बाद दिल्ली आकर उन्होंने हिंदी पेट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम किया। उसके बाद वे भोपाल के भारत भवन से प्रकाशित होने वाले ‘पूर्वग्रह’ पत्र के सहायक संपादक बन गए। इसी तरह इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित होने वाले ‘अमृतप्रभात’ में काम करने के बाद सन् 1983 में उन्होंने ‘जनसत्ता’ समाचार-पत्र के साहित्य संपादक का पद संभाल लिया। उसके बाद कुछ समय तक उन्होंने ‘सहारा समय’ में भी संपादन का कार्य किया। वर्तमान समय में वे नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं।

मंगलेश डबराल प्रमुख रचनाएँ-

मंगलेश डबराल के मुख्य रूप से चार कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जो इस प्रकार से हैं- ‘पहाड़ पर लालटेन’ ‘घर का रास्ता, ‘हम जो देखते हैं’, ‘आवाज भी एक जगह हैं।

मंगलेश डबराल अनुवादक के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। उनकी कविताओं के भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अनेक विदेशी भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार पहल सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

मंगलेश डबराल साहित्यिक विशेषताएँ-

मंगलेश डबराल ने कविता लेखन के साथ-साथ साहित्य, सिनेमा, संस्कृति और संचार माध्यम पर अपने विचार व्यक्त करते हुए अनेक लेख लिखे हैं। उन्होंने अपनी काव्य-रचनाओं में सामंतवादियों और पूँजीपतियों द्वारा धोखे और स्वार्थ की नीतियों का विरोध किया है। उन्होंने अपना विरोध सीधे-सादे ढंग से एक सुंदर सपना रचकर किया है।

मंगलेश डबराल भाषा-शैली-

कवि मंगलेश डबराल ने सरल, सहज एवं पारदर्शी भाषा को अपनाया है। शब्द चयन भावानुरूप है। उन्होंने प्रतीकात्मक एवं लाक्षणिक भाषा को अपनाया है। उनकी बिम्ब योजना देखते ही बनती है। सहज. स्वाभाविक अलंकारों का प्रयोग भी द्रष्टव्य है। संस्कृतनिष्ठ शब्दावली के साथ तत्सम और विदेशी शब्दों का भी कुशलता से प्रयोग किया है।

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