fundamental rights of indian constitution
मौलिक अधिकार: Fundamental Rights
• मौलिक अधिकारों के विचार का सूत्रपात 1215 ईसवी के इंग्लैंड के मैग्नाकार्टा से हुआ
• फ्रांस में 1789 के संविधान में मानवीय अधिकारों को शामिल करके व्यक्ति के जीवन के लिए आवश्यक कुछ अधिकारों की घोषणा को संवैधानिक मान्यता दिलाने की प्रथा आरंभ हुई
• 1791 ईस्वी में अमेरिका के संविधान में संशोधन करके बिल ऑफ राइट्स( अधिकार पत्र) को शामिल किया गया
• भारत में मौलिक अधिकारों को लागू करने की पहली मांग 1895 में उठी
• एनी बेसेंट ने होमरूल आंदोलन के दौरान मौलिक अधिकारों की मांग प्रस्तुत की
• 1925 ईस्वी में द कॉमनवेल्य ऑफ इंडिया बिल में भी इन अधिकारों की मांग की गई
• भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1927 के मद्रास अधिवेशन में इससे संबंधित संकल्प प्रस्ताव पारित किया गया
• 1928 में मोतीलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत नेहरू रिपोर्ट में भी मूल अधिकारों की मांग की गई
• कांग्रेस के कराची अधिवेशन( 1931) एवं गोलमेज सम्मेलन द्वितीय महात्मा गांधी ने इन अधिकारों की मांग की
• कैबिनेट मिशन 1946 की सलाह पर मूल्य अधिकारों एवं अल्पसंख्यको के अधिकारों पर एक परामर्श समिति का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल थे
• परामर्श समिति ने 27 फरवरी 1947 को 5 और समितियों का गठन किया जिनमें से एक मौलिक अधिकारों से संबंधित थी
• मौलिक अधिकार उप समिति के सदस्य जे बी कृपलानी, मीनू मसानी, के. टी. शाह, ए. के. अय्यर, के. एम. मुंशी, के एम पणिक्कर, तथा राजकुमारी अमृत कौर थे
• परामर्श समिति तथा उप समिति की सिफारिशों पर संविधान में मूल अधिकारों को शामिल किया गया
मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण | Classification of Fundamental Rightsसमता का अधिकार अनु.-14 से 18| Right to Equality
• अनुच्छेद 14- कानून के सामने सभी व्यक्ति समान है कानून के समक्ष समानता बिट्रेन के संविधान से उद्धृत है
• अनुच्छेद 15- जाति, लिंग, धर्म, तथा मूलवंश के आधार पर सार्वजनिक स्थानों पर कोई भेदभाव करना इस अनुच्छेद के द्वारा वर्जित है लेकिन बच्चों एवं महिलाओं को विशेष संरक्षण का प्रावधान है
• बालकों और स्त्रियों की स्वाभाविक प्रवृत्ति को ध्यान में रखकर उनके संरक्षण के लिये उपबन्ध बनाने का अधिकार अनुच्छेद 15(3) के तहत राज्य को प्राप्त है।
• अनुच्छेद 15(4) के अनुसार राज्य सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछडे और SC, ST के लिए विशेष प्रावधान कर सकता है।
• अनुच्छेद 16 – सार्वजनिक नियोजन में अवसर की समानता प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है परंतु अगर सरकार जरूरी समझे तो उन वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान कर सकती है जिनका राज्य की सेवा में प्रतिनिधित्व कम है
• अनुच्छेद 16(3) के अनुसार किसी क्षेत्र में नौकरी देने के लिए निवास सम्बन्धी शर्त लगाई जा सकती है ।
• अनुच्छेद 16(4) के अनुसार देश के पिछडे नागरिकों को उचित प्रतिनिधित्व के अभाव में आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है
• • अनुच्छेद 17- इस अनुच्छेद के द्वारा अस्पृश्यता का अंत किया गया है अस्पृश्यता की आचरण करता को ₹500 जुर्माना अथवा 6 महीने की कैद का प्रावधान है यह प्रावधान भारतीय संसद अधिनियम 1955 द्वारा जोड़ा गया
• अनुच्छेद 18- इसके द्वारा बिट्रिश सरकार द्वारा दिए गए उपाधियों का अंत कर दिया गया सिर्फ शिक्षा एवं रक्षा में उपाधि देने की परंपरा कायम रही
• अनुच्छेद 18(2) के अनुसार भारत का कोई भी नागरिक किसी भी विदेशी पुरस्कार को राष्ट्रपति की अनुमति के बिना ग्रहण नहीं कर सकता ।
स्वतंत्रता का अधिकार अनु 19 से 22 | Right to freedom
• अनुच्छेद 19 के अनुसार नागरिक को 6 प्रकार की स्वतंत्रतायें दी गई है –
• अनुच्छेद 19(A) – भाषण और विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। अनुच्छेद 19(1) के अन्तर्गत प्रेस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है । इसी के तहत देश के नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की स्वतंत्रता दी गई है ! संविधान के प्रथम संशोधन अधिनियम 1951 के द्वारा विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया है। सरकार राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक कानून व्यवस्था, सदाचार, न्यायालय की
• अवमानना, विदेशी राज्यों से संबंध तथा अपराध के लिए उत्तेजित करना आदि के आधार पर विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा सकती है।
• अनुच्छेद 19(B) के तहत शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के नागरिकों को सम्मेलन करने और जुलूस निकालने का अधिकार होगा । राज्यों की सार्वजनिक सुरक्षा एवं शान्ति व्यवस्था के हित में इस। स्वतंत्रता को सीमित किया जा सकता है।
• अनुच्छेद 19(C) भारतीय नागरिकों को संघ या संगठन बनाने की स्वतंत्रता दी गई हैं ! लेकिन सैनिकों को ऐसी स्वतंत्रता नहीं दी गई है
• अनुच्छेद 19(D) देश के किसी भी क्षेत्र मे स्वतंत्रता पूर्वक भ्रमण करने की स्वतंत्रता ।
• अनुच्छेद 19(E) देश के किसी क्षेत्र में स्थाई निवास की स्वतंत्रता। (जम्मू कश्मीर को छोड़कर)
• अनुच्छेद 19(G) कोई भी व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता ।
• अनुच्छेद 20 के अनुसार अपराधों के लिए दोष सिद्धि के संबध में संरक्षण दिया गया है
1. किसी भी व्यक्ति को तब तक अपराधी नहीं माना जाएगा जब तक यह सिद्ध न हो जाये कि उसने किसी कानून का अल्लंघन किया है ।
2. किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए उससे अधिक दण्ड नहीं दिया जा सकता ।
3. किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक दण्ड नहीं दिया जा सकता ।
4. किसी भी व्यक्ति को स्वयं अपने विरूद्ध गवाही देने या सबूत पेश करने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता ।
• अनुच्छेद 21 के अनुसारः- किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और शरीर की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता ।
• अनुच्छेद 21(क) के अनुसार 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है ।
• अनुच्छेद 22 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घण्टे के अन्दर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है ।
शोषण के विरुद्ध अधिकार( अनु 23 से 24)| Right Against Exploitation
• अनुच्छेद 23 के अनुसार मानव व्यापार व बेगार तथा बलात श्रम पर प्रतिबंध लगाया गया है । लेकिन राज्य सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक सेवा या श्रम योजना लागू कर सकती है। राज्य इस सेवा में धर्म, मूलवंश, जाति या वर्ग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा। बंधुआ मजदूरी समाप्त करने के लिए 1975 में बंधुआ मजदूरी का उन्मूलन अधिनियम पारित किया गया ।
• अनुच्छेद 24 के अनुसार बाल श्रम का निषेध किया गया है जिसके अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को कारखानो, खदानों या खतरनाक कार्यों में नहीं लगाया जा सकता ।
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनु 25 से 28) | Right to Religious Freedom
• अनुच्छेद 25 के अनुसार देश के प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म को मानने व आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार है ! लेकिन सार्वजनिक व्यवस्था व समाज कल्याण एवं सुधार आदि के अन्र्तगत इस पर रोक लगाई जा सकती है
• अनुच्छेद 26 के अनुसार धार्मिक प्रयोजन के लिए संस्था बनाने, उसका पोषण करने और धार्मिक कार्यों के प्रबन्ध के लिये सम्पत्ति अर्जित करने का अधिकार है ।
• अनुच्छेद 27 के अनुसारः- किसी भी व्यक्ति को किसी धर्म या सम्प्रदाय विशेष के पोषण हेतु कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा ।
• अनुच्छेद 28 के अनुसारः- राज्य निधि से वित्त पोषित या आर्थिक सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी और न ही किसी व्यक्ति को धार्मिक शिक्षा या धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार( अनु. 29 से 30) | Cultural and Educational Rights
• अनुच्छेद 29(i) ऐसे वर्ग के लोग जिन्हें भारत की भाषा या लिपि उनकी संस्कृति के अनुकूल न लगती हो वह अन्य भाषा लिपि एवं संस्कृति अपना सकती हैं
• अनुच्छेद 29(ii) – अनुच्छेद 29(i) में वर्गीकृत समूह के लोगों के साथ उनकी भाषा एवं लिपि के कारण उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाए
• अनुच्छेद 30(i) ऐसी अलग भाषा एवं संस्कृति वाले लोग अपनी भाषा एवं संस्कृति के विकास के लिए शिक्षण संस्थान स्थापित कर सकते हैं
संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनु. 32)
• अनुच्छेद 32 के अनुसार यह अधिकार मौलिक अधिकारों के लिए प्रभावी कार्यवाईयाॅं न्यायलय के द्वारा करवाता है । इस अधिकार के तहत यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लघन हुआ है तो वह सीधे सर्वोच्च न्यायालय में जा सकता है ।
• अनुच्छेद 32 को डाॅ. भीमराव अम्वेडकर ने भारतीय संविधान की आत्मा कहा है।
• अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के संरक्षण हेतु 5 रिटे जारी करने का अधिकार है –
1. बन्दी प्रत्यक्षीकरण – इसके अन्तर्गत गैर कानूनी या अवैधानिक रूप से बन्द किये गये किसी भी व्यक्ति को सामने लाने हेतु न्यायालय द्वारा आदेश दिया जा सकता है । यह आदेश किसी भी शासकीय कर्मचारी या किसी भी व्यक्ति के लिए जारी किया जा सकता है ।
2. परमादेश – यह आदेश सार्वजनिक पद पर काम करने वाले अधिकारियों व सरकार तथा अधीनस्थ न्यायालयों एवं न्यायिक अभिकरण के विरूद्ध़ जारी किया जा सकता है यदि वे अपने कर्तव्यों का सही पालन नही कर रहे हो किन्तु यह किसी संस्था या व्यक्ति के विरूद्ध जारी नही किया जा सकता है ।
3. प्रतिषेध – यह निम्न न्यायालयों को जारी की जाने वाली निषेधाज्ञा है जिसमें यह आदेश दिया जाता है कि वे किसी मामले विशेष मे कोई कार्यवाही न करें क्योंकि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है ।
4. उत्प्रेषण – इसके द्वारा निम्न न्यायालय के किसी भी केस को या जानकारी को उच्च न्यायालय अपने पास मंगा सकता है यह रिट उस समय जारी की जा सकती है जब निम्न न्यायालय किसी मामले की सुनवाई कर चुका हो ।
5. अधिकार प्रच्छा – इस रिट द्वारा न्यायालय किसी भी ऐसे व्यक्ति से जो किसी सार्वजनिक पद पर अवैधानिक रूप से कार्य कर रहा होता है। तो उससे पूछा जाता है कि आप इस पद पर किस अधिकार से कार्य कर रहे हैं ।
मौलिक अधिकारों का निलम्बन
• अनुच्छेद 33 संसद को यह शक्ति प्रदान करती है वि वह स्वतंत्र बलों, अद्धसैनिक बलों, खूफिया ऐजेन्सियों के सदस्यों के संबंध में मौलिक अधिकारो को प्रतिबंधित कर सकती है। ताकि वे अपने कर्तव्यों का उचित पालन कर सकें और उनके अनुशासन बना रहे।
• अनुच्छेद 34 मौलिक अधिकारों पर तब प्रतिबंध लगाता है जब भारत में कही भी सेना विधि (मार्शल लाॅं) लागू हो मार्शल लाॅं के क्रियान्वयन के समय सैन्य प्रशासन के पास जरूरी कदम उठाने के लिए असाधारण अधिकार मिल जाते हैं वे अधिकारों पर प्रतिबंध यहाॅं तक कि किसी मामले में नागरिकों को मृत्युदंड तक लागू कर सकता है।
• अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपात की घोषणा होने पर उसके द्वारा अनुच्छेद 359 के तहत सभी मौलिक अधिकार निलम्बित किये जा सकते हैं । परन्तु 44वें संविधान संशोधन के पश्चात अनुच्छेद 20 व 21 किसी भी स्थिति में निलबिंत नही किये जा सकते ।
नोट – अनुच्छेद – 15,16,19,29 व 30 के अन्तर्गत प्राप्त मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए है । जबकि शेष सभी अधिकार सभी व्यक्तियों के लिये हैं