Padahastasana संस्कृत में इसका मतलब पाद यानि पैर ,हस्त यानि हाथ ,इस योगासन को करते समय अपने हाथो को निचे पैरो के पंजे तक ले जाते है और इस योग को उत्तानासन भी कहते है , ये योगासन भी हठ योग का एक आसन है ,
Padahastasana steps | पादहस्तासन के चरण,
- Padahastasana yoga को करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों पैरो पे खड़े हो जाये और दोनों पैर सटे न हो थोड़ी दुरी बना ले,
- अब धीरे धीरे सास को अन्दर लेते हुए अपने दोनों हाथो को ऊपर की तरफ ले जाये ,
- उसके बाद स्वास को धीरे धीरे छोड़ते हुए कमर से आगे की ओर झुके और कोसिस करे की आप की हथेलिया जमीन पर स्पर्श हो जाये,
- कमर से निचे झुकते समय आप के पैर के घुटने मुड़े न हो वो एकदम सीधे होने चाहिए ,
- एक बार जमीं पर स्पर्श करने के बाद अपने स्वाश आराम से लेते रहे और इस अवस्था में कमसे कम १० सेकंड से लेकर ३० सेकंड तक बने रहने की कोसिस करे,
- अब पुरानि इस्थिति में वापस आने के लिए धीरे धीरे अपने स्वाश को लेते हुए पुरानि इस्थति में आ जाये ,
Benefits of Padahastasana | पादहस्तासन के लाभ,
- Padahastasana योग करने से मेरुदंड लचीला बनता है जिससे पुरे सरीर में रक्त चाप संतुलित रहता है,
- पैरो की नसों में खिचाव होता है जिससे हमारे पैरो में साटीका जैसी नसों वाली बीमारिया दूर रहती है ,
- और महिलाओ में ये मासिक धर्म संबधित समस्याहो में काफी लाभकारी साबित होती है ,
- इस योगासन को करने से तुरंत आलस्य दूर हो जाता है ,
- पैरो और कमर के बिच की मांश पेसिया इस योगासन के खिचाव के कारन संतुलित और मजबूत बनती है ,
Padahastasana योग करते समय ध्यान में रखने वाली बाते ,
- पहली इस्थिति में जब आप स्वाश छोड़ते हुए निचे की तरह आये तो ध्यान रखे की आप के पपैर घुटनो से मुड़े ना ,
- अगर आप का हाथ जमीन पर स्पर्श करते समय दिक्कत आरही है पैरो की नशो में दर्द ,ज्यादा खिचाव मेहसूस हो रहा है तो जबजस्ती ना करे पहले दिन जितना झुक पा रहे है उतना ही करे फिर नियमित रूप से करते करते आप के हाथ जमीन पे स्पर्श होने लगेंगे,
- अगर किसी को ह्रदय रोग हर्निया, अल्सर, मायोपिया ,चक्कर, सम्बन्धी रोग है तो इस आसन को न करे ,