Benefits of Uttanpadasana and steps |उत्तानपादासन के फायदे और चरण,

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Uttanpadasana

Uttanpadasana का संस्कृत सब्द में अर्थ अगर देखे तो उत्तान का मतलब उठाना (खिचाव)और पद का मतलब पैर  होता है इसलिए इस योग आसन का नाम उत्तानपादासन है इस आसन में अपने पैरो को यानि पद को उठाते है यानि उत्तान करते है , इस आसन को भी थोड़ा रूपांतरित कर के दो और आसन को जो इसी आसन का रूपांतरित रूप है उसे एक-पाद उत्तानासन और द्विपाद उत्तानासन खा जाता है जैसा की नाम से ही पता चल रहा है की एक-पाद उत्तानासन में एक पैर का उपयोग होता है और द्विपाद उत्तानासनमें दोनो पैरो का उपयोग होता है,

उत्तानपादासन विधि | Uttanpadasana steps,

  • उत्तानपादासन (Uttanpadasana)करने के लिए सबसे पहले पीठ के बगल जमीन पर लेट जाये और अपने हथो के हथेलियों को जमीन की तरफ कर के बगल में रखे और अपने दोनों पैरो को आपस में मिला ले,
  • अब सांस लेते हुए धीरे धीरे अपने दोनों पैरो को 30० से 60०  कोण  तक अपने पैर उठाये और पैर को उठाते समय अपने हाथो को बगल में जमीन पर जमाये रहे,
  • इस   इस्थिति में कमसे कम ५ सेकंड से लेकर ३० सेकंड तक जितना हो सके बने रहने की कोसिस करे,
  • पुरानी इस्थिति में आने के लिए सांस को धीरे धीरे छोड़ते हुए दोनों पैरों को निचे की तरफ फर्श पर ले आये,
  • इसी सामान एक-पाद उत्तानासन, के लिए पीठ के बगल लेट जाये और अपने सिर्फ १ पैर दाये या बाये दोनों में से कोई भी पैर को 30० से 60० कोण तक धीरे धीरे ऊपर उठाये और ये क्रिया स्वास भरते हुए करे इस क्रिया को एक बार  बरी बरी से दोनों पैरो से करे ,
  • पुरानि  इस्थिति  में वापस आने के लिए स्वांस छोड़ते हुए अपने पैर को जमीन पर ले अये ,
Uttanpadasana

उत्तानपादासन के फायदे | Benefits of Uttanpadasana,

  • कोर को मजबूत बनाना: Uttanpadasana पेट की मांसपेशियों पर काम करता है, जिसमें रेक्टस एब्डोमिनिस, तिरछी और अनुप्रस्थ मांसपेशियां शामिल हैं। यह कोर को मजबूत करने और शरीर में समग्र स्थिरता में सुधार करने में मदद करता है।
  • पैरों और रीढ़ की हड्डी को स्ट्रेच करता है: Uttanpadasana पैरों और रीढ़ की हड्डी को फैलाता है और इन क्षेत्रों में लचीलापन और गति की सीमा में सुधार करने में मदद करता है। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो लंबे समय तक बैठे या खड़े रहते हैं, क्योंकि यह पैरों और पीठ के निचले हिस्से में तनाव और दर्द को दूर करने में मदद कर सकता है।
  • पाचन में सुधार: यह मुद्रा पेट के अंगों की मालिश करती है, रक्त प्रवाह को बढ़ावा देती है और पाचन में सुधार करने में मदद करती है। यह लीवर और आंतों को उत्तेजित करने में मदद करता है, जो पाचन संबंधी समस्याओं वाले लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
  • प्रजनन अंगों को उत्तेजित करता है: Uttanpadasana प्रजनन अंगों को उत्तेजित करने में मदद करता है और उन महिलाओं के लिए फायदेमंद हो सकता है जो मासिक धर्म की परेशानी या रजोनिवृत्ति के लक्षणों का सामना कर रही हैं।
  • तनाव और चिंता को कम करता है:Uttanpadasana एक शांत और ग्राउंडिंग आसन है जो गहरी, स्थिर श्वास को बढ़ावा देने और दिमाग को साफ करने में मदद करके तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है।
  • संतुलन सुधारने में मदद करता है:Uttanpadasana की स्थिति में संतुलन और समन्वय की आवश्यकता होती है, इसलिए जब आप इसे नियमित रूप से करते हैं, तो यह संतुलन में सुधार करने में मदद करता है, जो रोजमर्रा की जिंदगी में फायदेमंद हो सकता है।
  • पोस्चर में सुधार करता है: Uttanpadasana एक सीध में आकर पोस्चर को बेहतर बनाने में मदद करता है
  • रीढ़ और कोर और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करना, जो स्लाउचिंग और हंकिंग को रोकने में मदद कर सकता है। बेहतर आसन से सांस लेने में भी सुधार हो सकता है और गर्दन और कंधों में तनाव दूर करने में मदद मिल सकती है।
  • फेफड़ों की कार्यप्रणाली में सुधार करता है: Uttanpadasana छाती को फैलाने में मदद करता है और फेफड़ों के कामकाज में सुधार करने में मदद कर सकता है। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जिन्हें सांस की समस्या है या जो अपने फेफड़ों की समग्र क्षमता में सुधार करना चाहते हैं।

Uttanpadasana करते समय ध्यान में रखने वाली बाते,

  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसी भी योग अभ्यास के साथ, Uttanpadasana को धैर्य के साथ करना और अपने शरीर को सुनना, अपने आप को बहुत कठिन धक्का देने से बचना आवश्यक है। यदि आपको कोई चोट या शारीरिक सीमाएँ हैं, तो मुद्रा का प्रयास करने से पहले अपने चिकित्सक या योग्य योग प्रशिक्षक से जाँच करना हमेशा सबसे अच्छा होता है।
  • यदि आपको हर्निया, कमजोर पीठ या रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में कोई परेशानी है तो इस मुद्रा को करते समय सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
  • उत्तानपादासन का अभ्यास करते समय, मुद्रा के लाभों को अधिकतम करने के लिए उचित संरेखण का उपयोग करना और कोर और पीठ की मांसपेशियों को संलग्न करना महत्वपूर्ण है। इस मुद्रा को अपने नियमित योग अभ्यास में शामिल करने से समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
  • उत्तानपादासन (Uttanpadasana) करते वक्त अपने सर को जमीन पर सटाए रखे ,
  • पैरो को उठाते समय घुटनो से न मोड़े ,
  • अगर किसी को पीठ में कोई समस्या है तो इसे जबरजस्ती न करे फिर इसे सिर्फ एक पेअर से अभ्यास करे ,
  • ये आसन से पेट  और नाभि के निचे काफी दबाव पड़ता है इसलिए इसको सावधानी पूर्वक करे जबरजस्ती  करे,
  • ये आसन करते समय सरीर को आराम से संतुलित करे झटके से न करे पैर  उठाते और निचे लाते वक्त इस बात का ध्यान रखे ,

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