यह ज्ञान, बुद्धियोग एक प्रकार से योग का विज्ञान ही है। ज्ञान का योग विज्ञान का योग भी है। प्रकृति के नियम ईश्वर के भाव हैं। विज्ञान मनुष्य के स्नायु तंत्र से ईश्वर को ईश्वर समझने वाला शास्त्र है। विज्ञान आध्यात्मिक जागरण का शत्रु न होकर उसका आवश्यक सलाहकार और मित्र है। आज का विज्ञान हमें एक ऐसे रहस्यपूर्ण अलौकिक संसार का ज्ञान कराता है जहाँ एक वस्तु दूसरी वस्तु से अकस्मात् जुड़ जाती है। जहाँ समय, संसार, पदार्थ, ऊर्जा और चेतना एक विशुद्ध परिपूर्णता बन जाते हैं। यह वह पत्र है जहाँ अतीत, वर्तमान और भविष्य की असीम सामर्थ्य प्रकट होकर द्रष्टा और दृश्य, प्रेक्षक और प्रेक्ष्य तथा ज्ञाता और शेर के रूप में विभक्त हो जाती है।
वास्तव में महान वैज्ञानिक अपनी विनम्रता के लिए विख्यात हैं क्योंकि ज्योंही वे अज्ञात की खोज करते हैं, तो वह अज्ञात और भी अनजान तथा रहस्यपूर्ण हो उठता है विनम्रता विस्मय की ओर ले जाती है और विस्मय निश्छलता की ओर यह विनम्रता हमें जीवन के प्रदीप्त रहस्य में प्रवेश और इसके प्रति समर्पण के लिए आमंत्रित करती है। यदि हम यह जान लें कि संसार में बुद्धि का भ्रम उत्पन्न करने के लिए अनेक बहकावे और आकर्षण हैं तो इनसे बचाव के लिए ज्ञान योग चमत्कारी सहायता कर सकता है।