महावीर प्रसाद द्विवेदी जीवन-परिचय-
महान् युग प्रवर्तक एवं द्विवेदी युग के नायक महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म उत्तर-प्रदेश के रायबरेली जिले के दौलतपुर गाँव में सन् 1864 में हुआ था। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वे बड़ी कठिनाई से स्कूल तक की शिक्षा प्राप्त कर सके। पढ़ाई छोड़कर उन्होंने रेलवे में नौकरी कर ली। धीरे-धीरे उनको रुचि हिन्दी साहित्य और कविता लेखन को और बढ़ने लगी। द्विवेदी जी ने कवियों को नवीन काव्य चेतना से अनुप्राणित कर उन्हें एक निश्चित दिशा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देकर सन् 1903 में प्रसिद्ध हिन्दी मासिक पत्रिका ‘सरस्वती’ का सम्पादन अपने हाथों में संभाला। उन्होंने नए कवियों की रचनाओं को ‘सरस्वती’ में स्थान देकर उन्हें काव्य-रचना के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया। सन् 1938 में उनका निधन हो गया।
महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख रचनाएँ-
महावीर प्रसाद द्विवेदी एक व्यवस्थित संपादक, भाषा वैज्ञानिक, पुरात्त्ववेता, इतिहासकार समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक चिंतन व लेखन के स्थापक, अनुवादक और समालोचक थे। उनको प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है
रसज्ञ रंजन, साहित्य संदर्भ साहित्य-सीकर, अद्भुत अलाप
महावीर प्रसाद द्विवेदी की साहित्यिक विशेषताएँ-
महाबीर प्रसाद द्विवेदी ने साहित्य की प्रत्येक विधा को बड़ा बल दिया। वे सब कुछ थे, किन्तु कवि थोड़े-थोड़े थे। वे सफल अनुवादक, पत्रकार और संपादक थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के बल पर तत्कालीन साहित्य में प्रचलित रूढ़ियों का संगठित और जबरदस्त विरोध किया। उन्होंने समाज में व्याप्त कायरता, रूढ़िवादिता, घूसखोरी जैसी बुराइयों पर चोट की। उन्होंने भाषा संस्कार का भी आंदोलन छेड़ा। उन्होंने छुआछूत, बाल-विवाह, दहेज प्रथा, देश-प्रेम जैसे विषयों पर रचनाएँ की समालोचन को हिन्दी साहित्य में स्थापित करने का भी श्रेय भी उन्हीं को जाता है।
महावीर प्रसाद द्विवेदी की भाषा शैली –
महावीर प्रसाद द्विवेदी ने भाषा के संस्कार पर बल दिया। उन्होंने भाषा को अस्थिरता दूर करके उसका व्याकरण शुद्ध करके उसे एक स्थिर रूप तथा व्याकरण दिया।