Mannu Bhandari ki Jivan Parichay |मन्नू भंडारी जीवन परिचय

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मन्नू भंडारी जीवन परिचय –

हिन्दी-साहित्य को सुप्रसिद्ध कहानी-लेखिका मन्नू भंडारी का जन्म 2 अप्रैल, 1931 में राजस्थान के भानपुरा नामक गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम महेन्द्र कुमारी था। उन्होंने स्नातक तक की शिक्षा-दीक्षा राजस्थान के अजमेर शहर से प्राप्त की। हिन्दी में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने कोलकाता तथा दिल्ली में अध्यापन कार्य किया। अवकाश प्राप्ति के बाद आजकल वे दिल्ली में स्वतंत्र लेखन कार्य में लगी हुई है। नई कहानी आदोलन में उन्होंने सक्रीय योगदान दिया। उन्हें हिन्दी अकादमी दिल्ली के ‘शिखर सम्मान ‘ बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद् कोलकाता. राजस्थान संगीत नाटक अकादमी और उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा पुरस्कृत किया गया।

मन्नू भंडारी की प्रमुख रचनाएँ-

मन्नू भंडारी मुख्य रूप से कहानी लेखिका हैं। उनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है कहानी-संग्रह- मैं हार गई, एक प्लेट सैलाब, यही सच है, तीन निगाहों की एक तस्वीर, आँखों देखा झूठ, त्रिशंकु आदि।

मन्नू भंडारी के उपन्यास-

आपका बंटी, महाभोज, स्वामी, एक इंच मुस्कान (राजेन्द्र यादव के साथ) ।

मन्नू भंडारी के पटकथाएँ-

रजनी. स्वामी, निर्मला, दर्पण।

मन्नू भंडारी के साहित्यिक विशेषताएँ-

मन्नू भंडारी एक सिद्धहस्त कथाकार है। नई कहानी आंदोलन में उन्होंने अपना विशेष योगदान दिया। उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्रण किया है। उन्होंने पारिवारिक जीवन नारी जीवन एवं विभिन्न वर्गों के जीवन की विसंगतियों को विशेष आत्मीय अभिव्यक्ति प्रदान की है। उन्होंने अपनी रचनाओं में व्यंग्य, संवेदना और आक्रोश को मनोवैज्ञानिक आधार बनाया है।

मन्नू भंडारी की भाषा-शैली-

मन्नू भंडारी को भाषा-शैली सरल, सहज स्वाभाविक और भावाभिव्यक्ति में सक्षम है। उनकी रचनाओं में बोलचाल को हिन्दी भाषा के साथ-साथ लोक प्रचलित उर्दू, अंग्रेजी, देशज शब्दों की बहुलता देखी जा सकती है। उन्होंने वर्णनात्मक शैली के अतिरिक्त समास और संवाद शैली का भी प्रयोग किया है। उनके सवाद छोटे-छोटे किन्तु चुस्त और प्रासंगिक हैं। कहीं-कहीं उनके कथन काव्यात्मक प्रतीत होते हैं। उनका वाक्य- विन्यास व्याकरण-सम्मत एवं सरल है। इन सबसे यह सिद्ध होता है कि उनका भाषा पर पूर्ण अधिकार है।

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