Home Education Sarveshwar Dayal Saxena Biography|सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जीवन-परिचय,

Sarveshwar Dayal Saxena Biography|सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जीवन-परिचय,

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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जीवन परिचय –

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म उत्तर-प्रदेश के बस्ती जिले में सन् 1927 में हुआ। उन्होंने ऐंग्लो संस्कृत उच्च विद्यालय, बस्ती से हाई स्कूल परीक्षा पास की। उसके बाद उन्होंने क्वींस कॉलेज, वाराणसी में अध्ययन किया तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम०ए० की परीक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने आडीटर जनरल इलाहाबाद के कार्यालय से अपने कर्ममय जीवन की शुरूआत की। उन्होंने अध्यापक, क्लर्क और उसके बाद आकाशवाणी में सहायक प्रोड्यूसर के रूप में कार्य किया। उन्होंने सन् 1965 में साप्ताहिक पत्रिका ‘दिनमान’ के उप संपादक के पद पर भी कार्य किया। जीवन के अंतिम वर्षों में उन्होंने ‘पराग’ नामक बच्चों की लोकप्रिय मासिक पत्रिका का सफलतापूर्वक संपादन किया। वे ‘तीसरा सप्तक’ के भी कवि थे। सन् 1984 में उनका देहांत हो गया।

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के प्रमुख रचनाएँ –

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने कहानी, कविता, उपन्यास, नाटक यात्रा वृतांत, निबन्ध जैसी अनेक विधाओं में रचना को है। उनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है

‘काठ की घंटियाँ’ ‘बाँस का फूल’, ‘एक सूनी नाव, ‘गरम हवाएं, ‘कुआनो नदी.’ ‘जंगल का दर्द, खुटियों पर टंगे लोग, उनकी प्रमुख काव्य-कृतियाँ हैं। ‘बकरी’ ‘सोया हुआ जल ‘ ‘कल फिर भात आएगा ‘अब गरीबी हटाओ, ‘ ‘राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती.’ ‘लाख को नाक’, ‘लड़ाई’ ‘भौ-भौ’, ‘बतूता का जूता, ‘ ‘पागल कुत्तों का मसीहा, ‘चरचे और चरखे, उनकी अन्य उल्लेखनीय रचनाएँ हैं।

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के साहित्यिक विशेषताएं –

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने बच्चों से लेकर प्रबुद्ध लोगों तक के लिए साहित्य को रचना की। उन्होंने अपने समय के समाज को बड़ी गहराई से देखा और बड़े कलात्मक ढंग से उस यथार्थ को अभियक्त किया। उन्होंने समाज में व्याप्त विसंगतियों और अव्यस्थाओं पर करारी चोट की है। उनकी समस्त रचनाएँ स्वाभाविक एवं सहजता को अपनाए हुए है। उन्होंने भारतीय गाँवों और यहाँ की परम्पराओं का बड़ा हो मनमोहक चित्रण किया है। नई कविता के कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है।

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की भाषा-शैली-

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की भाषा अत्यन्त सरल, सहज एवं लोकभाषा की महक लिए हुए है। उन्होंने अपनी साधारण और सामान्य भाषा के माध्यम से असाधारण और असामान्य की अभिव्यक्ति बड़ी सफलता से की है।

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