भारत का हर जिला शहर और गाओ अपने में अलग अलग मूल्यों को सम्हाले हुए है , जैसे कोई अपने संस्कृति मूल्यों को सम्हाले हए है और कोई प्राकृतिक सुंदरता और कोई खनिज सम्पदा को सम्हाले हुए है और इन सब मुल्यो को अगर भारत में किसी एक जगह में खोजा जाये तो ऐसे कुछ ही जगह है भारत में जिनमे ये सारी खुबिया मिलेंगी और उनमे से एक है, जिला sonbhadra,
सोनभद्र जिला पूर्वी उत्तर प्रदेश में बनारस के पास पड़ता है सोनभद्र जिला की आबादी (Population)18,62,559 है,इंडिया का पहला जिला है जिसका बॉर्डर ४ राज्यों से जुड़ा है , झारखण्ड बिहार मध्यप्रदेश छत्तीशगड़,सोनभद्र खनिज सम्पदा से भरा हुआ है, इसे “Energy Capital of India” भी कहा जाता है, क्यो की सोनभद्र जिले में पावर प्लांट है जो. वो ११००० मेगावाट की बिजली पैदा करते है, सोनभद्र में ही दुनिया का सबसे पुराना Fossils मिला है जो १४० करोड़ साल पुराना है, सोनभद्र एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के लिए भी अछि जगह है क्योकि पुरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में यही एक जगह है जहा बड़े झरने और पहाड़ नदिया मिलेंगे जिसकी खूबसूरती को देखते हुए अलग अलग नाम से बुलाया जाता है कोई मिनी गोवा बोलता है तो कोई मिनी स्विट्जरलैंड बोलता है .सोनभद्र में प्राचीन मंदिर और किले भी है ,जो महाभारत के समय से है, जिनके बारे में कई कथाये प्रचलित है ,
What is famous in sonbhadra? | सोनभद्र में क्या प्रसिद्ध है?
सोनभद्र अपने टूरिस्ट प्लेस के लिए काफी प्रशिद्ध है और साथ में यहा की प्राकृतिक खूबसूरती के लिए,
Tourist places for visit in sonbhadra | सोनभद्र में घूमने के लिए पर्यटन स्थल,
- फॉसिल्स पार्क सलखन |Salkhan Fossils Park,
- खोड़वा पहाड़ सोनभद्र | Khodwa mountain sonbhadra
- शिवद्वार मंदिर घोरावल सोनभद्र |Shivdwar Temple Ghoraval Sonbhadra,
- अगोरी किला |Agori Fort Sonbhadra,
- अगोरी मंदिर गोठानी |Agori Temple Gothani sonbhadra,
- रिहंद बांध, पिपरी |Rihand Dam Pipari Sonbhadra,
- वीर लोरिक पत्थर |Veer Lorik Stone,
- मुक्खा फॉल | Mukkha Fall Sonbhadra
- विजयगढ़ किला सोनभद्र | Vijaygarh Fort sonbhadra
फॉसिल्स पार्क सलखन | Salkhan Fossils Park,
फॉसिल्स पार्क सलखन नाम की एक गांव में है जो रॉबर्ट्स्गंज से १२ किमी की दुरी पर पड़ता है ये जीवाश्म १४० करोड़ साल पुराना है और सिर्फ भारत नहीं विष्व में भी सबसे पुराना जीवाश्म है जो की वैज्ञानिको के लये काफी महत्वपूर्ण है इस जीवाश्म पे शोध करके वो पृथ्वी के सुरवती दिनों के बारे में पता करते है , ये पार्क २५ हेक्टेयर में फैला है इस जीवाश्म पे शोध करने के लिए ५० देशो से अधिक वैज्ञानिको की टीम विजिट कर चुकी है,
खोड़वा पहाड़ सोनभद्र | Khodwa mountain sonbhadra,
खोड़वा पहाड़ सोनभद्र जिले का बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन है ये पहाड़ अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जानि जाती है और यहा पे झरने बारिश में चालू हो जाते है और एक झरने में तो साल भर पानी रहता है खोड़वा पहाड़ के एरिये में सोनभद्र के और जगह की तुलना में यहा पर ओसतन ज्यादा बारिश होती है खोड़वा पहाड़ के सबसे ऊंची चोटी पर मागेश्वर बाबा के नाम से प्रसिद्ध एक शिवलिंग जो अस्थानी लोगो से बात करने पर पता चला की ओरंग जेब के समय में इस शिव लिंग का खंडन करा दिया गया था जिससे इसकी उचाई अभी ४ फ़ीट की रह गयी है प्रकृति प्रेमी के लिए खोड़वा पहाड़ बहोत ही अच्छी जगह है और यहा पहाड़ के किनारे का जो नजारा है वो काफी आकर्षक है बारिश के मौषम में पहाड़ के किनारा बदलो से घिर जाता है और आप को ऐसा मेहशुश होता है की आप बदलो में बैठे हो ,
शिवद्वार मंदिर घोरावल सोनभद्र|Shivdwar Temple Ghoraval Sonbhadra,
शिवद्वार मंदिर ये सोनभद्र जिले के घोरावल से 10 किलोमीटर दूर स्थित है जो कि देवी पार्वती और शिवजी की मूर्ति से स्थापित है यह मंदिर कहते हैं कि 11 वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह भी कहते हैं कि पूरे भारत में केवल एक यही ऐसा मंदिर है जहाँ शिव जी की मूर्ति की पूजा करते हैं और उसपे पवित्र जल चढ़ाते हैं और यह मंदिर इतना ज्यादा प्रसिद्ध इसलिए हैं क्योंकि यहाँ पे शिव जी की और पार्वती जी की एक अद्भुत मूर्ति स्थापित है और इस अनोखे प्रतिमा में जहाँ शिव पार्वती प्रणय मुद्रा में हैं वहीं इसी प्रतिमा में शिवगणों सहित अन्य देवी देवताओं की छोटी मोटी मुद्राओ को भी उकेरा गया है
और इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ पर शिवलिंग पर जलाभिषेक नहीं होता यहाँ पर शिव प्रतिमा पर जलाभिषेक होता है और इस शिव और पार्वती के मूर्तियों में दिखती है अजंता एलोरा की झलक और ये मंदिर बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध हैं यहाँ पे सावन के महीने में कई हजारों के भीड़ में लोग आते हैं शिव और माता पार्वती की पूजन हेतु लोगों का मानना है कि इस मंदिर में अद्भुत शक्तियां हैं यहाँ लोग आने के बाद बहुत ही प्रसन्न होते हैं और ये मूर्ति काले पत्थरों से बनी है जो लशया शैली में तीन फुट ऊंची है
अगोरी किला | Agori Fort Sonbhadra,
अगोरी किला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य सोनभद्र जिले के पावन धरती सोन नदी के तट पर स्थापित है अगोरी किला का इतिहास बहुत ही रोमांचक रहा है अगोरी किला जो बारहवीं शताब्दी( रामनाथ शिवेन्द्र 1984) मिर्जापुर गजेटियर ( 1984) की शर्तों के संदर्भ में छोटा नहीं था यह बताता है कि यह राज्य काफी समृद्ध था 12वीं शताब्दी के अंत तक मदनसाह का शासन था जो बालंदशाह के वंशज थे और होंगे अगोरी किला तीन नदियों से घिरा हुआ है बिजुल रिहंद और सोन नदी और आज भी अगोरी किला के नालो में बरसात के समय लाल पानी बहता है
अगोरी मंदिर गोठानि|Agori Temple Gothani sonbhadra,
अगोरी मंदिर सोनभद्र की पावन धरती पर स्थापित है जो कि चोपन से लगभग 10 किलोमीटर अंदर है अगोरी मंदिरसोना नदी के पास स्थापित हैं है और यह मंदिर भगवान शिव का है इस मंदिर में भगवान शिव की एक विशाल शिवलिंग स्थापित है और भी कई देवी देवताओं के मूर्तियां यहाँ पर स्थापित है लोगों का कहना है कि यह मंदिर 12वी शताब्दी में बनाई गई थी बालंदशाह( खयारवाला) खावर वंश सूर्यवंश के द्वारा बनाया गया था और इस मंदिर में ऐसी कई सारी विशेषता है जो की आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है
शिवरात्रि और महाशिवरात्री के पावन अवसर पर लोग यहाँ भारी से भारी जनसंख्या में आते हैं और सोन नदी के तट से शुद्ध जल लेकर मंदिर में जाते हैं और उस पवित्र जल को शिवलिंग पर चढ़ाते है और कई भक्तगण उस शिवलिंग पर दूध चनाअमृत भाग धतूर शहर चीनी आदि पवित्र सामग्रियों शिव जी को चढ़ाते हैं महा शिवरात्रि के पावन अवसर पर यहाँ पे महा शिवरात्रि का मेला भी लगता है जो कि अनेक वस्तु मिठाइयाँ जैसी बहुत सी चीज़े मिलती है लेकिन सबसे प्रसिद्ध चीज़ जो कि लोग बहुत ही पसंद करते हैं वो है गुड़ की बनने वाली जलेबी जिसको लोग गुड़िया जलेबी बोलते हैं
Rihand Dam Pipari Sonbhadra | रिहंद बांध पिपरी
रिहंद डैम उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के रेणुकूट नगर के पिपरी में स्थित है और रिहंद डैम को 13 जुलाई 1954 में आधारशिला रखी थी उस दौरान इस बांध के निर्माण पर 51.54 करोड़ रुपये खर्च हुआ था निर्माण के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री माननीय जवाहरलाल नेहरू जी ने 6 जनवरी 1963 को रिहंद डैम का उद्घाटन किया इस बांध का प्रकार कंक्रीट गुरुत्वाकर्षण है इस डैम को एक और रूप से भी जाना जाता है गोविन्द बल्लभ पंत सागर रिसर्व और रिहंद डैम को बनानेवाली सहायक नदियां हैं जैसे, रेणु , रेणुका, रेंद, रेर,और रेहर, भी कहते हैं और इस विशाल डैम में 13 फाटक है और इसमें रिहंद और सोन नदी के मिलन बिंदु के दक्षिण में लगभग 46 किमी की दूरी पर स्थित यह ठोस रिहंद बांध शामिल है इसकी लंबाई 934 मीटर और उचाई 91 मीटर है और ये उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमाओं में स्थित है
और इसमें 730 मीटर की खड़ी गिरावट है जो हाइडल पावर के लिए जबरदस्त प्राकृतिक लाभ है और इस डैम से 300 मेगा वॉट (MW) की बिजली उत्पादन होती है और रेहन डैम परियोजना का उद्देश्य था कि हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर को उत्पादन करना यह परियोजना रेनुकूट में एल्मुनियम उद्योग, पिपरी मेँ रासायनिक उद्योग, चूरक मैं सीमेंट उद्योग, और चीनी मिट्टी के बर्तन और कागज जैसे अन्य उद्योग के लिए एक बड़ा वरदान है इस वजह से रिहंद डैम को बनाया गया और आज के समय में रिहंद डैम एक पर्यटन स्थल बन चुका है तो उससे भी काफी लाभ होता है
Veer Lorik Stone | वीर लोरिक पत्थर,
वीर लोरिक पत्थर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में रावटसगंज से लगभग 5 किलोमीटर दूरी पर इको पॉइंट पर स्थित है इस पत्थर की कहानी मंजरी और लोरिक के प्रेम और बहादुरी का प्रतीक है यह कहानी लगभग 11 वीं शताब्दी की है जब अघोरी के राजा और लागत में मेहर को एक जुए के खेल के लिए आमंत्रित किया यह प्रस्ताव किया कि इस खेल का विजेता राज्य पर शासन करेगा मेहरा ने राजा के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और वे जुआ खेलने लगे राजा सब कुछ हार गया और उसे अपना राज्य छोड़ना पड़ा राजा की दुर्दशा देखकर भगवान ब्रह्मा एक बिच्छू के रूप में आए और उन्हें कुछ सिक्के दिए जिससे उन्होंने आश्वासन दिया कि एक बार उन सिक्के के साथ खेलने के बाद उसका शासन वापस आ जाएगा राजा ने उस बिच्छू की बात मानी और एक बार और जुआ खेलने के लिए उसको आमंत्रित किया फिर क्या जैसा भगवान ब्रह्मा ने बोला वैसे ही उनका राजपाट वापस उन्हें प्राप्त हो गया मेहर की एक बेटी अघोरी में ही राजा मुलाकात की पास रहती थी
मेहर ने अपनी बेटी को भी जुए में हार गया था लेकिन उनकी बेटी का मानना था कि उनका प्रेमी वीर लोरिक 1 दिन आएगा और उनको इससे मुक्ति दिलाएगा और अपने साथ लेकर चला जाएगा लोगों का मानना था कि वीर लोरिक और मंजरी मंजरी पुनर्जन्म के प्रेमी थे मंजरी को अपना पिछला जन्म सब कुछ याद था फिर क्या वीर लोरिक को पता चलते ही कि मेरी प्रेमिका अब अगोरी जैसे नामक स्थान पर है तो वह युद्ध के लिए अघोरी के राजा को ललकार दे हैं
उसके पश्चात कई दिनों तक वहां पर युद्ध चलता रहा खून की नदियां बहती रही फिर एक दिन वीर लोरिक की विजय हुई फिर वीर लोरिक ने मंजरी को अपने साथ ले जाने का फैसला लिया मंजरी और लोरी जब मारकुंडी पर पहुंचे तो मंजरी ने उनसे कहा हे प्रभु आप हमारे प्रेम की निशानी यहां छोड़ कर जाइए कि लोगों को हम हमेशा याद रहे हमारी यह अमर प्रेम कथा लोगों के दिलों में बसी रहे तू लोरिक ने पूछा मैं ऐसा क्या करूं कि लोग हमें याद रखें और हमारे इस प्रेमगाथा को तो मंजरी ने कहा कि आप इस पत्थर को अपनी इस तलवार से काटकर दो हिस्सों में कर दीजिए जिससे यहां पर कभी भी कोई प्रेम का जोड़ा निराश होकर ना जाए तो फिर वीर लोरिक ने अपना 84 किलो का तलवार उठाया और उस पत्थर पर मार डाला जिससे उस पत्थर के दो हिस्से हो गए फिर वहां से मंजरी और लोरी की प्रेम गाथा हमेशा बच गई और वह दोनों खुशी-खुशी अपने राज्य में वापस चले गए तब से उस जगह को वीर लोरिक पत्थर के नाम से जाना जाता है यह एक पर्यटन स्थल भी है
मुक्खा फॉल | Mukkha Fall Sonbhadra
Sonbhadra मुक्खा फाल उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में रावटसगंज और घोरावल के रोड पर है जो कि रावटसगंज से लगभग 50 किलोमीटर दूर पच्छिम कि और है और घोरावल से 15 किलोमीटर की दूरी पर है सोनभद्र में एक अद्भुत ही पर्यटन स्थल है जहां पर देश-विदेश से लोग आते हैं और इस प्रकृति के नजारे का आनंद उठाते हैं इस मुख्य फालसे आपको अद्भुत ही प्रकृति का प्रदर्शन देखने को मिलता है हर तरफ हरियाली ही हरियाली और बीच में झरने का बहना ऐसा माना जाता है कि यह कोई स्वर्ग से कम नहीं है यह मुक्का फाल घोरावल तहसील में बेलन नदी के तट पर स्थित है यह साल बेलन नदी के कारण बनी हुई है जब बेलन नदी का पानी 100 फीट की ऊंचाई से गिरता है तो इस झरने का प्राकृतिक सुंदरता और इसका समृद्ध प्राकृतिक परिवेश अन पर्यटक को बार-बार यहां आने के लिए मजबूर करता है,
विजयगढ़ किला सोनभद्र | Vijaygarh Fort sonbhadra
विजयगढ़ किला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले से रावटसगंज चर्च रोड से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर मऊ कलान गांव में स्थित है विजयगढ़ किला लगभग 400 फीट ऊंचा है और इस किले का निर्माण आज से लगभग 5 वी सदी में हुआ था इस किले का निर्माण कॉल राजाओं ने कराया था और यह उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिले में एक अद्भुत ही पर्यटन स्थल है यहां की प्राकृतिक इतनी ही अद्भुत है कि यहां के पर्यटक को यहां पर बार-बार आने पर मजबूर करती है या वही किला है जिस पर
महान उपन्यास चंद्रकांता लिखा गया है देवकी नंदन खत्री लिखा हैंयह किला इतना प्रसिद्ध इसलिए है क्योंकि यह किला राजकुमारी चंद्रकांता का किला था जिसे नौगढ़ किले के राजा विक्रम वीरेंद्र सिंह जी प्यार करते थे और और इस विजयगढ़ किले पर अंतिम शासन बनारस के राजा चैत सिंह का था वह यहां तब तक शासन किए जब तक ब्रिटिश इस बिंदु तक नहीं पहुंची तब तक राजा चैत सिंह ने शासन कियाविजयगढ़को विजयगढ़ के प्रसिद्ध राजा बाणासुर द्वारा महाभारत के समय में बनाया गया था