Why Is Varanasi Famous For| वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है?

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वाराणसी Varanasi इतना प्रसिद्ध क्यो है ,इसका जवाब अगर हम कुछ सब्दो में देने की कोसिस करे तो बनारस की प्रसिद्धि के बारे में नहीं जान पाएंगे इसलिए इसे संछेप में समझते है की वाराणसी   क्यो  प्रसिद्ध है वाराणसी बनारस  कासी एक सहर लेकिन इसके तीन  नाम है जो अलग अलग समय में पड़े है कशी वारणशी का प्राचीन नाम है कशी  विश्व के सबसे पुराने सहरो में से एक है वाराणसी इतना प्राचीन शहर है की इसका जिक्र वेदो मिलता है जैसे की ऋग्वेद ,अथर्ववेद बाल्मीकि जी के रामायण और महाभारत में भी कशी का उल्लेख  है

एक शमय में माता पार्वती की इक्छा को रखने के लिए भगवान शिव कैलाश से कशी में आ कर रहे थे माता पारवती के साथ और आम लोगो की तरह ग्रहस्त जीवन बिताया ,कई  स्रोतो  से यही जानकारी मिलती है कि  काशी की स्थापना भगवान शिव ने खुद की थी. समय बीतने के साथ भी वाराणसी | कशी,का महत्त्व कम नहीं हुआ बल्कि भारत में वाराणसी सहर प्राचीन काल से ही भारत का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बना हुआ है

वाराणसी को भारत का सांस्कृतिक केंद्र इसलिए माना  जाता है  क्यो की प्राचीन समय से ही भारत के कई प्रशिद्ध लेखक , कवी ,दार्शनिक ,संगीतज्ञ यही पर रहे है और अपनी अपनी रचनाये की है, गोस्वामी तुलसी दास जी ने रामचरित मानस की रचना यही की थी ,कबीरदाह ,जयशंकर प्रशाद,त्रैलंग स्वामी, स्वामी रामानंद,रविदास, मुंशी प्रेमचंद,उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, कामसूत्र ग्रन्थ की भी रचना यही वारणशी में की गयी थी ,और गौतम बुध ने अपना प्रथम उपदेश यही वाराणसी में सारनाथ नाम की एक जगह है वही  पे दी थी,

वाराणशी के बारे में एक बात कहि जाती है कि ये इतिहास और परम्पराओ से भी पुराना है वाराणसी भारत का एक धार्मिक केंद्र है जो की सदियों से बना हुआ है और उसके मुख्या कारन भगवान शिव्  के द्वारा कशी का बसाये जाना उसके बाद  कई पुराने मंदिरो का अभी तक होना जिनकी आयु अभी भी ५००० साल की हो चुकी है और कशी विश्वनाथ मंदिर का होना साथ ही कशी के किनारे पवित्र गंगा नदी का होना वाराणसी को पूर्णतः धार्मिक  अस्थान बनाता है ,

Why is Varanasi called Kashi?

क्यो की कशी वाराणसी का प्राचीन नाम है,

Some important things of Varanasi district, | वाराणसी जिले की कुछ जरुरी बाते |

वारणशी एक बड़ा सहर और जिला है। वारणशी जिले की आबादी 3,676,841 है,वाराणसी में २ भाषाएँ बोली जाती है हिंदी .भोजपुरी ,यहा पर ३ तहशील है ,३ अर्बन लोकल बॉडीस है ,और २८ पुलिस स्टेशन है ,और वारणशी का छेत्रफल 1535 Sq. Km में फैला हुआ है

Tourist places for visit in Varanasi | वाराणसी में घूमने के लिए पर्यटन स्थल,

  • Kashi Vishwanath Temple | काशी विश्वनाथ मंदिर,
  • Dashashwamedh Ghat | दशाश्वमेध घाट,
  • Manikarnika ghat | मणिकर्णिका घाट,
  • Ramnagar Fort | रामनगर किला ,

Kashi Vishwanath Temple Varanasi | काशी विश्वनाथ मंदिर,

काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थापित है काशी विश्वनाथ मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर दशाश्वमेध घाट के ठीक बगल में स्थापित है पूरे विश्व भर में या मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि देश-विदेश से लोग यहां पर घूमने और महादेव का दर्शन करने हेतु वाराणसी में आते हैं या कोई छोटा मोटा मंदिर नहीं है या एक हिंदुओं का प्रसिद्ध और धार्मिक मंदिरों में से एक है यह मंदिर उसी पवित्र नदी के तट पर हैं जो स्वर्ग से निकलकर शिवजी के जटाओं में से धरती पर आई हैंयहां पर भक्तों का मानना है कि कोई भी भक्तगण आता है और गंगा जी में से पवित्र जल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर महादेव के शिवलिंग पर जल अर्पण करने से उसके सारे पाप धुल जाते हैं हर साल यहां पर काफी मात्राओं में भक्त बड़ों की भीड़ होती है भारी से भारी जनसंख्या में भक्त बढ़ाते हैं गंगा जी में स्नान करते हैं और उसी गंगाजल को लेकर मंदिर में जाकर शिवलिंग पर अर्पण करते हैं इन सब कामों से उनकी मोक्ष की प्राप्ति बढ़ जाती है काशी विश्वनाथ मंदिर उन 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है जो पूरे भारतवर्ष में हैं उन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योर्तिलिंग काशी विश्वनाथ में भी है या मंदिर वाराणसी में पिछले कई हजार वर्षों से स्थापित है,

History of Kashi Vishwanath Temple Varanasi | काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास,

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास बड़ा ही आश्चर्यचकित है ऋषि मुनियों का कहना है कि मां पार्वती जी को अपने घर अच्छा नहीं लगता था उनके पिता श्री दक्ष प्रजापति जीके व्यवहार के कारण उन्हें अपने घर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था तो वह महादेव से बोलती है कि है शिव मुझे अपने साथ अपने पास रखिए तो शिव जी ने बोला कि आप हिमालय पर कैसे रहोगे तू पार्वती जी ने उनसे कहा नहीं मुझे बस यहां नहीं रहना मुझे कहीं ले चलिए तो शिव जी ने उनसे बोला ठीक है मैं आपको ले चलता हूं तू उन्होंने काशी को चुना और वहीं पर माता पार्वती को लेकर आ गए और वहां पर अपने शिवलिंग के साथ माता पार्वती के साथ स्थापित हो गएसब का यही मानना है

कि काशी विश्वनाथ में भगवान शिव और माता पार्वती का  आदि स्थान है यह बात एक 11वीं शताब्दी की है जब राजा हरिश्चंद्र ने इस मंदिर की स्थापना की थी और लोग यहां पूजा करने हेतु आते थे उसी समय वर्ष 1194 ईस्वी में मोहम्मद गौरी ने इस मंदिर को बहुत ही बेरहमी से तोड़ दिया था और यहां का सारा सोना लूटकर ले गया था जिसके बाद काशी विश्वनाथ को एक बार फिर बनाया गया लेकिन फिर से एक और बार वर्ष 1447   में  उससे भी बेरहमी से सुल्तान मोहम्मद शाह ने तोड़ दिया इन सब के पश्चात सन 1780 में महारानी अहिल्याबाई होलकर ने इस मंदिर का निर्माण किया उसके बाद महाराजा रणजीत सिंह के द्वारा इस मंदिर में 1000 किलो शुद्ध सोने से इसको बनवाया गया सन 1853 में फिर उसके बाद लोग यहां भारी से भारी मात्रा में आते हैं और पवित्र गंगा जल में स्नान करके और उस पवित्र नदी में से जल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर  शिवलिंग को अर्पण करते हैं और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं,

यह वही पवित्र मंदिर है जहां पर बहुत से महापुरुष दर्शन हेतु आए थे इस काशी विश्वनाथ मंदिर मैं संत एकनाथ रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद आदि शंकराचार्य महर्षि दयानंद गोस्वामी तुलसीदास जैसे महान पुरुष यहां पर दर्शन हेतु आए थे और यही काशी विश्वनाथ में संत एकनाथ जी ने संप्रदाय का महान  ग्रंथ श्री एकनाथ जी भगवान लिखकर पूरा किया फिर इन सब के बाद काशी से ऐसी ही चल रही थी जैसे पहले चली जा रही थी यह बात 2014 की है जब भारत के प्रधानमंत्री बने माननीय नरेंद्र मोदी जी यह भारत के 17वें नंबर पर आते हैं

प्रधानमंत्री के लिस्ट में जब यह प्रधानमंत्री बने तो यह काशी आए और एक दृढ़ निश्चय किया कि काशी को और भी बेहतर बनाना है और भी सुंदर काशी को बनाना है फिर क्या 8 मार्च 2019 को काशी विश्वनाथ काली डोर का शिलान्यास किया गया उसके बाद लगभग 32  महीनों के अनवरत निर्माण कार्य के बाद 13 दिसंबर 2021 में मोदी जी द्वारा इसका लोकार्पण किया गया फिर काशी विश्वनाथ इतना ही अद्भुत हो गया वहां के लोगों ने ऐसी कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि हमारा काशी ऐसा भी हो सकता है ललिता घाट के रास्ते प्रथम भारत माता के दर्शन  होते हैं फिर आगे चलते ही श्रीमती अहिल्याबाई की मूर्ति है फिर आगे चलते ही आपको ज्ञानवापी में नंदी जी के दर्शन प्राप्त होंगे इसके बाद आपको अद्भुत ही आरती देखने को मिलेगी और यहां पर भक्तों के लिए काफी चीज निशुल्क है

और यहां पर साफ सफाई का काफी ही ध्यान दिया जाता है किसी प्रकार की कोई गंदगी नहीं होती और माननीय प्रधानमंत्री जी के प्रेरणा से बाबा विश्वनाथ जी के गर्भगृह में 60 किलोग्राम सोनी के भार से गर्भगृह में पत्थर चाहने का कार्य किया गया है और भी यहां पर अद्भुत माननीय नरेंद्र मोदी जी ने कार्य किए हैं जिसकी लोगों ने आज तक कल्पना भी नहीं की थी,

Dashashwamedh Ghat Varanasi | दशाश्वमेध घाट,

दशाश्वमेध घाट वाराणसी में बहोत ही महत्त्व पूर्ण घाट है जो की कशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में पड़ता है,  इसी  घाट पे ब्रम्हा जी ने दश अश्वमेघ यज्ञ  किया था ,इस घाट पे शाम को रोज गंगा आरती भी की जाती है जिसकी वजह से यहा  पे शाम को टूरिस्टों की  काफी भीड़ रेहती है

Manikarnika ghat Varanasi | मणिकर्णिका घाट,

मणिकर्णिका घाट भी काफी प्रसिद्द घाट है एक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने यहाँ पे  भगवान शिव और माता पारवती के लिए एक कुंड की रचना की थी एक  बार माता पार्वती का फूलो का कनिका कुंड में गिर गया था तो भगवान शिव  ने उसे खुद निकला था इस वजह से इस घाट का नाम मणिकर्णिका पड़ा और इस घाट की एक बात और है की ,लोगो की ऐसी मान्यता है की जिसका भी अंतिम संशकार इस घाट पे होता है उसको मुक्ति मिल जाती है इसलिए इस घाट में ही सबसे अधिक अंतिम संशकार किये जाते है और यहा पे कभी भी चिता  की अग्नि नहीं बुझती मतलब की एक चिता  से दूसरी चिता में अग्नि लगायी जाती है अग्नि को कभी बुझने नहीं दिया जाता ,

Ramnagar Fort Varanasi | रामनगर किला ,

रामनगर किला भारत के उत्तर प्रदेश के वाराणसी Varanasi जिले में गंगा घाट के पूर्वी तट पर तुलसी घाट के ठीक सामने यह किला स्थित है यह भारत का एक बहुत ही प्रसिद्ध किला है जहां देश-विदेश के लोग घूमने आते हैं यह किला  सन 1750 काशी के राजा काशी नरेश बलवंत सिंह ने इस किले का निर्माण किया था यह किला पर्यटकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह एक ऐतिहासिक किला है और रहस्यमई किलो में से एक है लोगों का मानना है कि आरंभ में ही यह काशी नरेश का निवास रहा है यह किला बहुत ही महत्वपूर्ण होता है पर्यटकों के लिए क्योंकि इस किले में एक से एक पुरानी चीज रखी गई है जैसे राजा महाराजाओं के तलवार वाले यह बहुत सारी उनकी वाहन और भी कई अद्भुत चीज रखी हुई है जिन्हें आप वहां पर जाकर देख सकते हैं

इसके लिए मैं जाने के लिए आम नागरिकों के लिए ₹20 है और देश विदेश से पर्यटकों के लिए ₹150 है किले के अंदर आपको फोटो खींचने की इजाजत नहीं दी जाती है और किसी भी खास वस्तु को वहां पर आप हाथ नहीं लगा सकते और किले के अंदर आपको कोई दुकान नहीं दिखेगी अगर आपको कुछ खाना होगा तो आप किले के बाहर ही बहुत सारी दुकाने मिल जाएंगे जो कि बहुत ही फेमस स्थान है मिठाइयों के लिए आप वहां पर जलपान कर सकते हैं

और यह किला इतना आकर्षक इसलिए लगता है क्योंकि यह मक्खन के रंग वाले चुनार की बलुआ पत्थर से बना थाअभी इस किले का स्थिति पहले जैसा नहीं है लेकिन फिर भी काफी आकर्षण से भरा हुआ है इसलिए जो भी बनारस आता है वह रामनगर किला एक बार जरूर घूमते  ही जाता है और इस किले को घूमने के लिए आप सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक कभी भी जा सकते हैं इसके बाद किला बंद हो जाता है और यह होली के शुभ द्वार पर या खिला बंद रहता है लेकिन रविवार और जैसे सार्वजनिक छुट्टियों पर यह किला खुला रहता है तो आप सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक जा सकते हैं,


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