Yashpal ka Jivan Parichay | यशपाल का जीवन परिचय,

0

यशपाल का जीवन परिचय –

हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर, 1903 को पंजाब के फ़िरोजपुर छावनी में हुआ। उनके पूर्वज हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के निवासी थे। उनके पिता का नाम हीरालाल और माता का नाम प्रेम देवी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कागड़ा के गुरुकुल में हुई। उन्होंने सन् 1921 में फिरोजपुर से मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से बी० ए० तक शिक्षा ग्रहण को कॉलेज में ही उनकी भेंट सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी भगत सिंह और सुखदेव से हुई। उन्होंने अपने सहपाठी लाला लाजपत राय के साथ स्वदेशी आंदोलन में जमकर भाग लिया। उनका झुकाव मार्क्सवाद की और बढ़ता गया। उन्हें दिल्ली में बम बनाते हुए गिरफ्तार कर लिया गया तथा 7 अगस्त, 1936 को बरेली जेल में ही उनका विवाह प्रकाशवती कपूर से हुआ। वे कई बार विदेश यात्रा पर गए। उन्होंने साहित्यकार और प्रकाशक दोनों रूपों में हिन्दी साहित्य की सेवा की। 26 दिसम्बर, 1976 को उनका स्वर्गवास हो गया।

यशपाल की प्रमुख रचनाएँ-

यशपाल की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं उपन्यास- दादा कामरेड देशद्रोही, पार्टी कामरेड, दिव्या, मनुष्य के रूप, अमिता, क्यों फंसे, मेरी तेरी उसको

बात, बारह घण्टे, अप्सरा का श्राप झूठा सच।

यशपाल की कहानी-संग्रह-

पिंजरे की उड़ान तर्क का तूफान, ज्ञानदान, वो दुनिया, अभिशप्त, फूलों का कुर्ता, धर्मयुद्ध चित्र का शीर्षक: उत्तराधिकारी, उत्तमी की माँ, सच बोलने की भूल

यशपाल नाटक-

नशे नशे की बात रूप को परख गुडबाई दर्ददिल

यशपाल की व्यंग्य लेख –

चक्कर क्लब।

यशपाल की विचारात्मक निबन्ध-

न्याय का संघर्ष, मार्क्सवाद, रामराज्य की कथा।

यशपाल की साहित्यिक विशेषताएँ-

यशपाल जी की रचनाओं पर मार्क्सवाद का प्रभाव स्पष्ट झलकता है। उनकी रचनाओं में सामाजिक, ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों के दर्शन होते है। उन्होंने जीवन की वास्तविकता के निकट के यथार्थ का वर्णन किया है। उनकी अधिकांश कहानियाँ चिन्तन प्रधान हैं।

यशपाल की भाषा-शैली-

यशपाल की भाषा शैली में स्वाभाविकता एवं व्यवहारिकता का गुण विद्यमान है। उनकी भाषा अत्यन्त सहज, सरल और पात्रानुकूल है। उन्होंने वर्णनात्मक, संवाद प्रधान प्रभावशाली शैली को अपनाया है। उन्होंने विषयानुसार उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग किया है। आम आदमी की भाषा का प्रयोग करने

के कारण यशपाल का साहित्य जनसाधारण में अत्यन्त लोकप्रिय है।

यशपाल की संस्मरण-

सिहावलोकन |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here