चौथा योग राजयोग है। चौथा योग राजयोग है। राजयोग अक्सर राज-पथ कहा जाता क्योंकि यह ज्ञान अनुभव बहुत संपन्न है। थोड़े प्रशिक्षण बाद राजयोग अभ्यास कोई कर सकता है।
राजयोग योग वह मार्ग जिसका अभ्यास आपकी चेतना अंतर्मुखी बनाता है। राजयोग सार मन और शरीर में समन्वय बढ़ाने वाली प्रक्रियाओं शरीर, मन और आत्मा को समेकित करना है। विधियाँ कोलाहल और झंझावात के बीच संतुलन, आभा और शक्ति केंद्रित चेतना उत्पन्न करती हैं। ये आपकी बोध क्षमता बढ़ाते हुए आपका स्वास्थ्य सुधारती और मानसिक स्पष्टता बढ़ाती हैं। इसके अभ्यास परिणामस्वरूप आप अधिक मानसिक तथा शारीरिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं। राजयोग जीवन अधिक आनंद अनुभूति करते और प्रतिदिन उत्साह और प्रेरणा अनुभव करते हैं।
राजयोग आप दूसरी के योगाभ्यास अधिक सरलता, अल्प चेष्टा और आनंद कर सकते हैं। जब आप शारीरिक सक्षम, भावनात्मक रूप स्थिर और मनोवैज्ञानिक तौर एकाग्रता अनुभव करते हैं, तब आपके प्रेम और करुणा भाव अभिव्यक्त होने लगते हैं। आप ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित अधिक सफल जाते तथा ज्ञान की अनंत यात्रा पर चल पड़ते अक्सर राज-पथ कहा जाता क्योंकि यह ज्ञान अनुभव बहुत संपन्न है। थोड़े प्रशिक्षण बाद राजयोग अभ्यास कोई कर सकता है।
राजयोग योग वह मार्ग जिसका अभ्यास आपकी चेतना अंतर्मुखी बनाता है। राजयोग सार मन और शरीर में समन्वय बढ़ाने वाली प्रक्रियाओं शरीर, मन और आत्मा को समेकित करना है। विधियाँ कोलाहल और झंझावात के बीच संतुलन, आभा और शक्ति केंद्रित चेतना उत्पन्न करती हैं। ये आपकी बोध क्षमता बढ़ाते हुए आपका स्वास्थ्य सुधारती और मानसिक स्पष्टता बढ़ाती हैं। इसके अभ्यास परिणामस्वरूप आप अधिक मानसिक तथा शारीरिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं। राजयोग जीवन अधिक आनंद अनुभूति करते और प्रतिदिन उत्साह और प्रेरणा अनुभव करते हैं।