Niralamba Bhujangasana , में सरीर कोबरा सर्प की तरह दिखाई देता है आगे से सर्प के फन की तरह उठा हुआ और पीछे पूरा सरीर सीने के निचे का भाग जमींन पर सटा हुआ ,संस्कृत भासा में भुजंग का मतलब कोबरा सर्प होता है,और निरालम्ब भुजंगासन ,भुजंगासन का परिवर्तित रूप है,
Method of doing Niralamba Bhujangasana | निर्लम्बा भुजंगासन करने की विधि,
- Niralamba Bhujangasana yoga करने के लिए सबसे पहले आप को सीधे पेट के बगल लेट जाना है ,
- अपने दोनों पैरो को आपस में ऐसे सटा ले की आपस में दोनों पैरो की एड़ी भी सटी हो और अपने माथे को जमीन पर रखे और दोनों हाथो के पंजो को अपने कंधे से सटे हुए जमींन पर रखे ,
- अब धीरे धीरे स्वाश लेते हुए अपने नाभि के ऊपर के हिस्से को अपने दोनों हाथो की मदद से उठाये ,और साथ में अपने सर को जितना हो सके पीछे की और ले जाये, इस अवस्था में लगभग १० सेकंड से लेकर २० सेकंड तक रह सकते है,
- वापस पहले की स्थिति में आने के लिए दोनों हाथो के पंजो को कंधे के बगल में रखे ,
- अब धीरे धीरे स्वाश छोड़ते हुए अपने सीने सर को जमीन पर ले आये और इस स्थिति में थोड़ा आराम करे,
Benefits of Niralamba Bhujangasana | निर्लंबा भुजंगासन के लाभ,
- Niralamba Bhujangasana को करने से रीढ़ के आसपास जुडी नसों का कार्य छमता बढ़ता है रीढ़ की हड्डी में लचीला पन आता है ,
- ये आसन गर्दन और जबड़ो के दर्द को दूर करती है ,
- इस योगासन से सरीरी में ऊर्जा का प्रवाह तेज हो जाता है और सरीर के हर अंगो के लिए फायदे मंद होता है क्यो की मेरु दंड से ही होकर सारि नसे पुरे सरीर में फैली होती है ,
- जिनको अस्थमा की समस्या है उनके लिए ये योगासन काफी फायदे मंद साबित होता है ,
निरालम्ब भुजंग आसन करते समय ध्यान रखने वाली बाते ,
- Niralamba Bhujangasana क्रिया करते समय जबर जस्ती न करे सिमित दायरे में ही कोसिस करे ,
- जिनको पेटदर्द या हर्निया की समस्या है वो ये आसन न करे,
- स्वाश तेज न ले स्वाश को धीरे धीरे ले ,
- अपने गर्दन और सरीर को पीछे की तरफ उठाते समय ज्यादा झटके से न करे ये क्रिया आराम से ध्यान के साथ करने वाली कृया है ,