Ardha Shalabhasana संस्कृत भाषा में शलभ सब्द का अर्थ टिड्डी होता है और अर्धशलभासन योग ,शलभासन योग का परिवर्तित रूप है इस योगासन में सरीर टिड्डी के तरह दीखता है, ये आसन सलभासन का परिवर्तित रूप है इसलिए इसे अर्धशलभासन कहते है,ये आसन भी हटयोग का एक आसन है ,
Ardha Shalabhasana All Steps | अर्ध शलभासन सभी चरण,
- Ardha Shalabhasana के पहले स्थिति में जमीन पर छाती के बगल सीधा लेट जाये अब अपने हाथो को भी सीधा जमीन पर कमर के बगल में रख ले और आप की ठोड़ी जमींन पर लगा कर रखे और पैरो को भी पूरा फैला दे ,
- और हाथ के पंजो को जमीन की तरफकर कर ले ,
- नार्मल आराम से सास लेते हुए धीरे धीरे अपने दाये पैर को जितना हो सके जमीन से उठाने की कोसिस करे और इसी स्थिति में ५ सेकंड से लेकर १५ सेकंड तक बने की कोसिसि करे ,
- अब दाये पैर को वापस जमीन पर ले अये उसके बाद यही क्रिया बाये पैर से दोहराये ,धीरे धीरे बाये पैर को ऊपर की तरफ उठाये और इस अवस्था में ५ से १५ सेकंड तक बने रहे ,उसके बाद बाये पैर को भी जमीन पर ले आये,
Banifits of Ardha Shalabhaasan | अर्ध शलभासन के लाभ,
- अर्ध शलभासन करने से कमर के निचे की पैरो से जुडी माँसपेशिये और नसे मजबूत होती है ,
- ये पैरो की नसों को लचीला और मजबूत बनत है ,
- रीढ़ की हड्डी से जुडी होकर जाने वाली पैरो वाली नसो में रक्त का प्रवाह संतुलित होता है और सरीर को एक संतुलन प्रदान करता है ,
- और इस आसन से पेट से जुडी समस्या में भी लाभ होता है,
ardha shalabhaasan करते समय ध्यान रखने वाली बाते ,
- Ardha Shalabhasana सुरुवात और अंत करते समय तक ठोड़ी को जमीन से लगा कर राख्नना है ,
- जिनको ह्रदय सम्बन्धी बीमारिया और उच्य रक्चाप हर्निया तो उनको ये आसन करने के लिए एक्सपर्ट की राय लेने के बाद ही करना चाहिए,
- अपने पैरो को वहा तक उठाना चाहिए जहा तक पपैर एकदम सीधे हो घुटनो से पैर न मुड़े,
- ये आसन करते समय झटके से पैरो को न उठाये ,